लखनऊ (उत्तर प्रदेश): बहुजन समाज पार्टी, भाजपा के कथित दलित विरोधी रूख को उजागर करने के मकसद से प्रोन्नति में आरक्षण को चुनावी मुद्दा बनाएगी क्योंकि उसका मानना है कि अधिकांश राज्य सरकारें इस संबंध में उच्चतम न्यायालय के फैसले की अनदेखी करेंगी। बसपा सुप्रीमो मायावती ने बुधवार को कहा था कि अनुसूचित जाति एवं जनजाति के कर्मचारियों को प्रोन्नति में आरक्षण पर उच्चतम न्यायालय के फैसले का कुछ हद तक स्वागत है। उन्होंने कहा था कि न्यायालय ने कोई प्रतिबंध नहीं लगाया है और केन्द्र एवं राज्य सरकारों से इसे लागू करने को कहा गया है।
प्रोन्नति में आरक्षण निश्चित तौर पर चुनावी मुद्दा बनेगा
बसपा सुप्रीमो ने कहा कि राज्यों के लिए ऐसी कोई शर्त नहीं है कि वे पिछड़ेपन के आंकड़े एकत्र करें, जैसा 2006 में था ... राज्यों को यह फैसला सकारात्मक रूप से लेना चाहिए। बसपा के एक नेता ने नाम उजागर नहीं करने की शर्त पर बताया कि पार्टी के लिए यह महत्वपूर्ण मुद्दा है। वह इसे संसद के भीतर और बाहर उठाती रही है। प्रोन्नति में आरक्षण निश्चित तौर पर चुनावी मुद्दा बनेगा।
राज्य सरकारें इसकी अनदेखी करने को तरजीह देंगी
मायावती ने कहा कि राज्यों और केन्द्र को स्वतंत्रता दी गयी है कि वे इसे लागू करें या नहीं। पार्टी का मानना है कि अधिकांश राज्य सरकारें इसकी अनदेखी करने को तरजीह देंगी। बसपा का पूरा प्रयास होगा कि अनुसूचित जाति एवं जनजाति के लोगों को उनके अधिकारों से वंचित ना किया जा सके। मायावती ने बुधवार को मांग की थी कि केन्द्र राज्यों को पत्र लिखे और कहे कि फैसले का ईमानदारी से क्रियान्वयन हो और इस फैसले को सकारात्मक रूप लिया जाए। बसपा नेता ने गुरुवार को कहा कि मायावती संभवत: जल्द ही पार्टी नेताओं को निर्देश देगी कि इसे प्रमुख चुनावी मुददा बनाया जाए।
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