बीजेपी कर्नाटक में जश्न मनाएगी, 111 से ज्यादा विधायक हमारे पास: येदियुरप्पा
‘‘हम सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करेंगे ... बहुमत साबित करने के लिए हमारे पास 100 प्रतिशत सहयोग एवं समर्थन है।’’
बेंगलुरू: मुख्यमंत्री बनने के करीब 55 घंटे के भीतर बीएस येदियुरप्पा को कल विधानसभा के पटल पर बहुमत साबित करना होगा। सुप्रीम कोर्ट ने आज आदेश पारित करके बहुमत साबित करने के लिए राज्यपाल द्वारा दिये गये 15 दिन के समय में कटौती कर दी। इस बीच येदियुरप्पा (75) ने कहा कि वह राज्य विधानसभा में बहुमत साबित करने को लेकर ‘‘100 प्रतिशत’’ आश्वस्त हैं। शीर्ष अदालत के आदेश के बाद येदियुरप्पा ने पत्रकारों से कहा, ‘‘हम सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करेंगे ... बहुमत साबित करने के लिए हमारे पास 100 प्रतिशत सहयोग एवं समर्थन है।’’ येदियुरप्पा ने कहा, ‘‘इन सब राजनीतिक खेलों के बीच, हम कल बहुमत साबित करेंगे। हम सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करेंगे।’’ येदियुरप्पा को बहुमत साबित करने के लिए 111 विधायकों का समर्थन चाहिए। येदियुरप्पा ने कहा कि कल बीजेपी कर्नाटक में जश्न मनाएगी।
राज्य की 222 सीटों पर हुए चुनावों में भाजपा को 104 सीटों में जीत मिली है और उसे उम्मीद है कि कांग्रेस तथा जद (एस) के नव निर्वाचित विधायक अपनी पार्टी छोड़ येदियुरप्पा सरकार का समर्थन कर सकते हैं। दो सीटों पर मतदान नहीं होने के कारण 224 सदस्यीय विधानसभा में असरदार संख्या 222 है। जद ( एस ) के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार और गठबंधन के नेता एच डी कुमारस्वामी ने दो जगहों से जीत दर्ज की है लेकिन वह एक वोट ही डाल पाएंगे।
कुमारस्वामी ने बुधवार को दावा किया था कि भाजपा राज्य में सत्ता में आने के लिए ‘‘ आपरेशन कमल ’’ दोहराने का प्रयास कर सकती है। वर्ष 2008 में ‘आपरेशन कमल’ का प्रयोग उस समय किया गया था जब येदियुरप्पा के नेतृत्व में भाजपा के पास विधानसभा में बहुमत नहीं था और उसके नेता कांग्रेस के तीन और जद ( एस ) के चार विधायकों को इस्तीफा देने के लिए मनाने में कामयाब रहे थे। माना जाता है कि इसमें धन और पद का लालच दिया गया था।
इस बीच , गठबंधन को नजरअंदाज करते हुए येदियुरप्पा को सरकार बनाने के लिए न्यौता देने को लेकर पहले ही आलोचना के शिकार राज्यपाल ने नवनिर्वाचित विधायकों को शपथ दिलाने तथा शक्ति प्रदर्शन के लिए के जी बोपैया को अस्थायी अध्यक्ष नियुक्त किया। कांग्रेस ने इसकी आलोचना की है।
बोपैया 2009 से 2013 के बीच कर्नाटक विधानसभा के अध्यक्ष रहे थे।
वह मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा के करीबी माने जाते हैं। उन्होंने 2011 में पिछली येदियुरप्पा सरकार की मदद के लिए विश्वासमत से पहले भाजपा के 11 असंतुष्ट विधायकों और पांच निर्दलीय विधायकों को अयोग्य घोषित कर दिया था। उनके फैसले को कर्नाटक उच्च न्यायालय ने कायम रखा था लेकिन उच्चतम न्यायालय ने पलट दिया। शीर्ष न्यायालय ने कहा था कि बोपैया ने हड़बड़ी दिखाई। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिनेश गुंडु राव ने बोपैया की नियुक्ति पर तीखी प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए कहा कि राज्यपाल का फैसला स्तब्ध करने वाला है।