केरल में 20 पर्सेंट ईसाइयों के सहारे लेफ्ट का अंतिम किला ढहाना चाहती है बीजेपी
केरल में जिस तरह से लव जेहाद मुद्दा बन रहा है और इसकी चपेट में ईसाई समुदाय की कई लड़कियां भी आई हैं, उससे बीजेपी को लगता है कि मेहनत करने पर ईसाई समुदाय का भरोसा हासिल हो सकता है।
नई दिल्ली: केरल में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर अभी से भारतीय जनता पार्टी तैयारियों में जुट गई है। राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने बीते 6 अक्टूबर को नए पदाधिकारियों के साथ पहली बैठक में जिन चुनावी राज्यों पर चर्चा की, उनमें केरल का नाम प्रमुख रहा। दक्षिण के इस राज्य में चुनाव से पहले अपनी जमीनी स्थिति मजबूत करने के लिए बीजेपी ऐक्शन मोड में है। प्रदेश इकाई को लगातार जनता के बीच जाकर मुद्दे उठाने के लिए कहा गया है। केरल की पी विजयन सरकार के राज में सामने आए गोल्ड स्मगलिंग जैसे मुद्दों को बीजेपी लगातार उठा रही है।
केरल में 30 पर्सेंट मुस्लिम, 20 पर्सेंट ईसाई वोटर
पार्टी सूत्रों ने बताया कि बीजेपी का फोकस केरल में ईसाइयों के 20 प्रतिशत वोट बैंक पर है। दरअसल, केरल की सियासत में धार्मिक वोटबैंक हावी हैं। 30 प्रतिशत मुस्लिम हैं तो 20 प्रतिशत ईसाई हैं। दोनों धर्मों के 50 प्रतिशत वोट बैंक मिलकर राज्य की सियासत का रुख तय करते हैं। केरल में जिस तरह से लव जेहाद मुद्दा बन रहा है और इसकी चपेट में ईसाई समुदाय की कई लड़कियां भी आई हैं, उससे बीजेपी को लगता है कि मेहनत करने पर ईसाई समुदाय का भरोसा हासिल हो सकता है। अगले साल मई 2021 में विधानसभा चुनाव संभावित हैं। पार्टी केरल के प्रदेश नेतृत्व से लगातार राज्य के माहौल की रिपोर्ट लेने में जुटी है।
‘बीजेपी की तरफ आकर्षित हो रहा ईसाई समुदाय’
केरल के नेता और राष्ट्रीय प्रवक्ता टॉम वडक्कन ने कहा, ‘केरल में बीजेपी का जनाधार लगातार बढ़ रहा है। लेफ्ट के शासन से जनता परेशान है। गोल्ड स्मगलिंग, हाउसिंग घोटाले के खुलासे से जनता में सरकार को लेकर नाराजगी है। राज्य का ईसाई समुदाय भी बीजेपी की तरफ आकर्षित हो रहा है। आने वाले चुनाव में बीजेपी की स्थिति बहुत बेहतर होगी।’
राष्ट्रीय टीम में भी बढ़ा केरल का कद
बीजेपी की नई राष्ट्रीय टीम में केरल के दो नेताओं को राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने जगह दी है। मुस्लिम चेहरे अब्दुल्ला कुट्टी को राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया है, तो ईसाई चेहरे टॉम वडक्कन को राष्ट्रीय प्रवक्ता की जिम्मेदारी दी है। खास बात है कि ये कि दोनों नेता इससे पूर्व कांग्रेस में रहे हैं। केंद्र सरकार की बात करें तो प्रधानमंत्री मोदी ने अपने मंत्रिपरिषद में केरल के नेता वी मुरलीधरन को बतौर विदेश राज्य मंत्री जगह दी है। इस प्रकार देखें तो बीजेपी ने सरकार और संगठन दोनों जगह केरल को उचित भागीदारी देकर राज्य में पकड़ बनाने की कोशिश की है।
राज्य में बढ़ रहा बीजेपी का जनाधार
राज्य में बीजेपी का जनाधार लगातार बढ़ रहा है और चुनावी आंकड़े भी इसकी पुष्टि करते हैं। 2011 के विधानसभा चुनाव में जिस बीजेपी को सिर्फ 6 प्रतिशत वोट मिले थे, उसे मई 2016 में दोगुने से ज्यादा 15 प्रतिशत वोट प्रतिशत मिले। बीजेपी 2016 के विधानसभा चुनाव में अपना खाता भी खोलने में सफल रही थी। यानी कि वोटों में 100 प्रतिशत से ज्यादा का उछाल आया। बीजेपी को उम्मीद है कि 2021 के विधानसभा चुनाव में पार्टी की स्थिति और बेहतर होगी। 2016 के विधानसभा चुनाव में लेफ्ट नेतृत्व वाले एलडीएफ ने 140 विधानसभा सीटों में से 83 सीटों पर जीत दर्ज की थी तो कांग्रेस की अगुवाई वाले यूडीएफ को 47 सीटें और बीजेपी तथा निर्दलीय को एक-एक सीट मिली थीं।