नयी दिल्ली: प्रति दंपति दो बच्चों के मानकों से संबंधित एक निजी विधेयक शुक्रवार को राज्यसभा में पेश किया गया। इस विधेयक में टू चाइल्ड नार्म्स यानी एक परिवार में सिर्फ़ दो बच्चों के होने का ज़िक्र किया गया है। इस बिल का नाम जनसंख्या विनियमन विधेयक, 2019 रखा गया है। बीजेपी नेता राकेश सिन्हा ने प्राइवेट मेंबर के बतौर ये विधेयक रखा है।
बिल में क्या-क्या प्रावधान?
- देश में 2 और 11 का अनुपात नहीं चलेगा
- कुछ देश और संसाधनों का खयाल रखते हैं
- एक या दो बच्चे ही पैदा कर रहे हैं
- कुछ 9 से लेकर 11 बच्चे पैदा करते हैं
- सच्चर कमेटी ने कई परिवारों का हवाला दिया
- कई परिवारों में 7,9 और 11 बच्चे
- जनसंख्या का बोझ संतुलन बिगाड़ता है
- मानव और प्राकृतिक संसाधन में एकरूपता रहना चाहिये
सिन्हा का कहना है कि इस विधेयक को प्रभावी बनाने के भी प्रावधान किये गये हैं ताकि लोग बढ़ती आबादी के नुकसानों को समझकर इसे अपना सकें। सिन्हा ने कहा,करूणाकरण कमेटी ने भी बढ़ती आबादी पर रोकथाम को लेकर अपनी रिपोर्ट पेश की थी। ऐसा अगर होता है तो इससे किसी के भी मौलिक अधिकारों का हनन नहीं होगा।
बिल के निगेटिव-पाज़िटिव पहलू
- टू चालल्ड नार्मस मानने वालों को फायदा मिले
- बैंक डिपॉज़िट में ज़्यादा ब्याज़ मिले
- बच्चों को शिक्षा में प्राथमिकता मिले
- जो 2 चाइल्ड नार्म्स के खिलाफ हैं
- वे लोकतांत्रिक अधिकारों से वंचित हों
- जमा रकम में कम ब्याज़ मिले
- लोन लेने पर अधिक ब्याज़ लगे
- नौकरियों में प्राथमिकता ना मिले
बता दें कि इससे पहले केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने जनसंख्या विस्फोट पर गुरुवार को चिंता जाहिर करते हुए कहा था कि जनसंख्या नियंत्रण को लेकर देश सांस्कृतिक विभाजन की ओर बढ़ रहा है। उन्होंने इसपर कानून बनाने की मांग की। उन्होंने एक बार फिर जनसंख्या को धर्म से जोड़कर कहा कि जनसंख्या नियंत्रण पर धार्मिक व्यवधान भी एक वजह है।
गिरिराज सिंह ने अपने ट्वीट में लिखा, “हिंदुस्तान में जनसंख्या विस्फोट अर्थव्यवस्था, सामाजिक समरसता और संसाधन का संतुलन बिगाड़ रहा है। जनसंख्या नियंत्रण पर धार्मिक व्यवधान भी एक कारण है। हिंदुस्तान 1947 की तर्ज़ पर सांस्कृतिक विभाजन की ओर बढ़ रहा है। सभी राजनीतिक दलों को साथ होकर जनसंख्या नियंत्रण क़ानून के लिए आगे आना होगा।‘’
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