मोदी सरकार ने ‘‘तुष्टीकरण का तमाशा’’ खत्म कर अल्पसंख्यकों को विकास में दी बराबर की हिस्सेदारी: नकवी
नकवी ने कहा कि केन्द्रीय सरकारी नौकरियों में अल्पसंख्यकों की भागीदारी जहां वर्ष 2014 में लगभग पांच प्रतिशत थी, वहीं 2017 में बढ़कर 10 फीसदी हो गई है...
लखनऊ: केन्द्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने आज कहा कि देश की नरेन्द्र मोदी सरकार ने वर्षों से चले आ रहे ‘तुष्टीकरण के तमाशे‘ को खत्म करके अल्पसंख्यक तबके को भी विकास का बराबर का हिस्सेदार बनाने का मार्ग प्रशस्त किया है।
नकवी ने यहां नौ राज्यों तथा केन्द्र शासित प्रदेशों की ‘विकास समन्वय बैठक‘ को सम्बोधित करते हुए कहा कि केन्द्र की मोदी सरकार ‘बिना तुष्टीकरण के सशक्तिकरण‘ और ‘सम्मान के साथ सशक्तिकरण‘ के संकल्प के साथ राज्य सरकारों से समन्वय करके समावेशी विकास की दिशा में मजबूती से काम कर रही है। सरकार ने ‘तुष्टीकरण के तमाशे‘ और ‘वोट के सौदे‘ को खत्म कर विकास के मसविदे को अपना संकल्प बनाकर काम किया है। इसी का नतीजा है कि आज समाज के अन्य वर्गों की तरह अल्पसंख्यक तबका भी विकास का बराबर का हिस्सेदार बन रहा है।
उन्होंने कहा कि यही वजह है कि केन्द्रीय सरकारी नौकरियों में अल्पसंख्यकों की भागीदारी जहां वर्ष 2014 में लगभग पांच प्रतिशत थी, वहीं 2017 में बढ़कर 10 फीसदी हो गई है। इस वर्ष सिविल सेवा में अल्पसंख्यक समुदाय के लगभग 125 युवा चयनित हुए हैं, जिनमें से 52 मुस्लिम हैं।
नकवी ने कहा कि अल्पसंख्यक मंत्रालय की ‘हुनर हाट‘, ‘सीखो और कमाओ‘, ‘नई मंजिल‘, ‘गरीब नवाज कौशल विकास योजना‘ और ‘नई रोशनी‘ योजनाएं अल्पसंख्यकों की कौशल विकास की दिशा में महत्वपूर्ण कदम साबित हुई हैं। तीन वर्षों में इन योजनाओं से साढ़े आठ लाख से ज्यादा लोगों को रोजगार उपलब्ध कराया गया है।
उन्होंने कहा कि अल्पसंख्यक समुदायों के लिए केन्द्र सरकार द्वारा चलायी जा रही योजनाओं को जमीनी स्तर पर लागू करने के मामले में ज्यादातर राज्य अच्छा काम कर रहे हैं। बाकी राज्यों को भी इस दिशा में और प्रयास करने चाहिए।
नकवी ने कहा कि इस बैठक का मकसद राज्यों तथा केन्द्र शासित प्रदेशों में अल्पसंख्यक समुदायों के लिए चल रही विभिन्न शैक्षिक, कौशल विकास तथा छात्रवृत्ति की योजनाओं की समीक्षा करना तथा राज्यों से सुझाव प्राप्त करना है, जिससे इन सभी योजनाओं का लाभ समाज के हर जरूरतमंद तक पहुंचे।