नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने अयोध्या में राम मंदिर निर्माण और गुजरात में सरदार वल्लभभाई पटेल की प्रतिमा 'स्टेचू ऑफ यूनिटी' को लेकर कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम द्वारा दिए गए बयान पर सोमवार को पलटवार किया। भाजपा ने उनके बयान को पूरी तरह से गैरजिम्मेदार और उत्तेजक करार दिया। केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने संवाददाताओं से कहा, "आज हम कांग्रेस के व्यवहार में खास तरह का ढोंग देख रहे हैं। राहुल गांधी मंदिरों का चक्कर लगाकर खुद को रामभक्त और शिवक्त के तौर पर पेश करने की कोशिश कर रहे हैं और पहली बार अपने को ब्राह्मणवंशी बता रहे हैं।"
प्रसाद ने आगे कहा, "दूसरे वरिष्ठ नेता चिदंबरम ने राम मंदिर और स्टेचू ऑफ यूनिटी पर उपहास किया है।" उन्होंने कहा कि जब प्रतिमा का अनावरण किया गया तो कांग्रेस ने पूर्व उपप्रधानमंत्री सरदार पटेल को अपना बताया और भाजपा उनको हथियाने की कोशिश कर रही है। उन्होंने कहा, "राहुल गांधी, आपको बताना चाहिए कि सरदार पटेल का मान घटाने और राम मंदिर आंदोलन के महत्व को कमतर आंकने वाले चिदंबरम के इस तरह के गैर-जिम्मेदाराना और उत्तेजक ट्वीट का जवाब आप किस तरह देंगे।"
वरिष्ठ भाजपा नेता ने कहा कि जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी और संजय गांधी जैसे नेताओं के नाम पर असंख्य सरकारी योजनाएं, पुरस्कार, अवार्ड, विश्वविद्यालय और हवाई अड्डे हैं। उन्होंने कहा, "आधुनिक भारत में किसी प्रकार का प्रतीकवाद अपनाने का काम परिवार के सदस्यों ने किया है। यहां भारत का एकीकरण करने वाले सरदार पटेल की विशाल प्रतिमा बनाई गई है जिनको कांग्रेस के शासन में भुला दिया गया।"
उन्होंने कहा, "यह कांग्रेस के लिए चिंता का विषय नहीं होना चाहिए कि सरकार वल्लभ भाई पटेल की प्रतिमा का निर्माण किया गया।"पूर्व केंद्रीय मंत्री चिदंबरम ने भाजपा पर तंज कसते हुए कहा कि विकास और नौकरियों के चुनावी वादों को पूरा करने में विफल रहने पर लोकसभा चुनाव से पहले प्रतिमाओं और मंदिरों के वादे किए जा रहे हैं। वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने ट्वीट के जरिए कहा, "पांच साल पहले शुरुआत में विकास, नौकरियां, हर नागरिक के बैंक खाते में पैसे डालने के वादे किए गए थे।"
उन्होंने कहा, "पांच साल बाद कोई भी वादा पूरा नहीं हुआ। अब भव्य मंदिर बनाने, विशाल प्रतिमा लगाने और खरात बांटने के नए वादे किए जा रहे हैं। क्योंकिम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने पुराने विकास करने, दो करोड़ नौकरियां देने और विदेशों में पड़ा कालाधन लाकर सभी गरीब की तिजोरी 15-15 लाख रुपये से भरने के वादे पूरे करने में विफल हो गए हैं।"
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