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Bihar Polls: विरासत सौंपने को तैयार हैं कई धुरंधर

पटना: राजनीति में परिवारवाद को लेकर भले ही आरोप-प्रत्यारोप चलता रहे, लेकिन कोई भी दल परिवारवाद से अछूता नहीं है। बिहार विधानसभा चुनाव में भी राज्य के कई वरिष्ठ नेता अपनी विरासत उत्तराधिकारी को सौंपने

सांसद जनार्दन सिंह सिग्रीवाल छपरा सीट से बेटे प्रमोद सिग्रीवाल के लिए टिकट का दावा ठोक रहे हैं तो शिवहर की सांसद रमा देवी अपनी बेटी रागिनी गुप्ता के लिए टिकट के जुगाड़ में हैं। रागिनी मधुबन के अलावा नरकटियागंज सीट से भी टिकट चाह रही हैं। वैसे मधुबन सीट से पूर्व सांसद सीताराम सिंह के बेटे राणा रणधीर सिंह भी टिकट के दावेदार बताए जा रहे हैं।

भाजपा के सांसद छेदी पासवान सासाराम की चेनारी सीट से अपने बेटे रवि को टिकट दिलाने के प्रयास में हैं। भाजपा के वरिष्ठ नेता सी़ पी़ ठाकुर भी अपने पुत्र विवेक को टिकट दिलाने के लिए बड़े नेताओं के यहां दरबार लगा चुके हैं।

वैसे, राजनीति में वंशज को विरासत सौंपने की परंपरा बिहार में कोई नई नहीं है।

माना जाता है कि बिहार में कांग्रेस के दो दिग्गज ललित नारायण मिश्र और अनुग्रह नारायण सिंह ने राजनीति में परिवाद की नींव रखी। अनुग्रह नारायण सिंह के पुत्र सत्येंद्र नारायण सिंह मुख्यमंत्री बने, उनके पुत्र निखिल कुमार औरंगाबाद से सांसद चुने गए और बाद में राज्यपाल पद तक पहुंचे।

कद्दावर कांग्रेस नेता दिवंगत ललित नारायण मिश्र का परिवार भी सियासत में कभी पीछे नहीं रहा। एक भाई जगन्नाथ मिश्र तो मुख्यमंत्री बने ही, दूसरे भाई मृत्युंजय नारायण मिश्र भी भाजपा में सक्रिय हैं।

जगन्नाथ मिश्र के पुत्र नीतीश मिश्र बिहार के मंत्री की कुर्सी तक पहुंच चुके हैं। ललित नारायण के पुत्र विजय कुमार मिश्र विधान पार्षद हैं और उनके पुत्र ऋषि मिश्र भी जदयू के विधायक हैं। इसके अलावा भी कई ऐसे नेता हैं, जिन्होंने अपनी राजनीतिक विरासत अपने परिवार के सदस्यों को सौंपा है।

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