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बिहार की राजनीति और जातिवाद का इतिहास

नई दिल्ली: भारत में बिहार का इतिहास सबसे विविध में से एक है। प्राचीन बिहार, जो कि मगध के रूप में जाना जाता था, 1000 वर्षो तक शिक्षा, संस्कृति, शक्ति और सत्ता का केंद्र रहा।

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नई दिल्ली: भारत में बिहार का इतिहास सबसे विविध में से एक है। प्राचीन बिहार, जो कि मगध के रूप में जाना जाता था, 1000 वर्षो तक शिक्षा, संस्कृति, शक्ति और सत्ता का केंद्र रहा। भारत के पहले साम्राज्य, मौर्य साम्राज्य के साथ ही दुनिया की सबसे बड़ी शांतिवादी धर्म बौद्ध धर्म भी बिहार में हुआ।  

मौर्य और गुप्त शासनकाल में  बिहार भारतीय सभ्यता, राजनीतिक, सैन्य और आर्थिक केंद्र था। बिहार में ही कई धार्मिक महाकाव्य लिखे गए जिनमे "अभिज्ञान शाकुन्तलम्" प्रमुख है।  

दरअसल बिहार दुनिया के उन पहले गणराज्यों में से एक हैं जिसके अस्तित्व का उल्लेख लिच्छवी, महावीर (599 ई.पू.) के जन्म से पहले से मिलता है। बिहार का गुप्त वंश  भारतीय संस्कृति और शिक्षा के लिए जाना जाता था।  

बिहार ने 1857-58  के युद्ध में भी निर्णायक भूमिका निभाई थी।  

आज बिहार केन्द्रीय राजनीति (दिल्ली) का गलियारा बन चुका है  क्योंकि ऐसा माना जा रहा है कि बिहार विधानसभा चुनाव के परिणाम की बिसात पर ही आगामी लोकसभा चुनाव में नए समीकरण  दिखाई देंगे और चुनावी रणनीतियों को प्रभावित भी करेंगे।

वैसे तो भारत में किसी भी प्रान्त के चुनाव में जातीय समीकरण की अहम भूमिका होती है लेकिन बिहार के मामले कहा जा सकता है कि सिर्फ इसकी (जातीय समीकरण) ही भूमिका होती है।

बिहार की राजनीति जातिवाद आधारित है जिसको लेकर हर दल सभी जातियों को ध्यान में रखते हुए ही कोई फैसला करते हैं।  

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