बिहार : करारी हार के बाद महागठबंधन में आरोप-प्रत्यारोप शुरू
बिहार में लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद विपक्षी महागठबंधन में आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला प्रारंभ हो गया है।
पटना: बिहार में लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद विपक्षी महागठबंधन में आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला प्रारंभ हो गया है। महागठबंधन को बिहार की 40 में से मात्र एक सीट मिलने पर कांग्रेस के नेता अब गठबंधन पर ही सवाल उठाने लगे हैं। कांग्रेस के एक नेता ने कहा है कि गठबंधन ने ईमानदारी से काम नहीं किया। इस पर राजद ने भी पलटवार किया है।
बिहार विधानसभा में कांग्रेस विधायक दल के नेता सदानंद सिंह ने यहां शुक्रवार को कहा कि "इस पराजय को शलीनता के साथ स्वीकार करना चाहिए। उन्होंने कहा कि ऐसी हार की उम्मीद नहीं थी। यह समय पार्टी के आत्मचिंतन, आत्ममनन का है।" उन्होंने बिहार से चुनाव जीतनेवाले उम्मीदवारों को बधाई देते हुए कहा कि बिहार में महागठबंधन ईमानदारी पूर्वक काम नहीं कर सका।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सिंह ने गठबंधन से अलग होकर कांग्रेस को चुनाव में उतरने की सलाह देते हुए कहा, "पार्टी को वैशाखी से उबरना होगा। अपनी धरातल, अपनी जमीन को तो मजबूत करना ही होगा।"
महागठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर नाइंसाफी के संबंध में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, "महागठबंधन में कमियां तो थीं ही। कांग्रेस को कम सीटें मिली हैं। समझौता समय पर नहीं हो पाया।"
आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य वर्ग को आरक्षण दिए जाने और राजद द्वारा इसका विरोध करने तथा राजद के नेता तेजस्वी यादव द्वारा नकारात्मक चुनाव प्रचार के संबंध में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि इसका असर भी चुनाव परिणाम पर पड़ा है। उन्होंने हालांकि यह भी कहा कि नतीजों से घबराने की जरूरत नहीं है।
सिंह के इस बयान पर राजद उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने पलटवार किया है। उन्होंने कहा कि किसी पर सवाल उठाने के पहले उन्हें विचार करना चाहिए कि दिल्ली और उत्तर प्रदेश में वह गठबंधन क्यों नहीं कर सके।
तिवारी ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के अमेठी से चुनाव हारने पर निशाना साधते हुए कहा, "कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी अमेठी में भी चुनाव हार गए। उन्हें हार पर पहले मंथन करना चाहिए।" उल्लेखनीय है कि महागठबंधन में राजद का सूपड़ा साफ हो गया, जबकि कांग्रेस बिहार में मात्र एक सीट (किशनगंज) ही जीत सकी।