पटना: बिहार की सियासत पिछले महीनों में भारी उलटफेर का शिकार रही है। एक तरफ जहां मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राष्ट्रीय जनता दल से हाथ छुड़ाकर एक बार फिर से भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम लिया, वहीं दूसरी तरफ जीतन राम मांझी NDA का साथ छोड़कर RJD के पाले में चले गए। अब बिहार में सत्तारूढ BJP-JDU गठबंधन तथा विपक्षी RJD-कांग्रेस गठबंधन के बीच अररिया लोकसभा सीट और दो विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव में मुकाबला है। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या BJP-JDU गठबंधन पुरानी सफलता दोहरा पाता है।
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पिछले साल महागठबंधन तोड़ कर बीजेपी की अगुवाई वाले NDA में शामिल होने के बाद प्रदेश में पहली बार मतदान हुए हैं। अररिया से RJD सांसद मोहम्मद तस्लीमुद्दीन के निधन के बाद यह इस सीट पर उप चुनाव कराया गया है। इस सीट पर यहां लडाई मुख्य रूप से RJD और BJP के बीच है। RJD की नजर यादव-मुस्लिम (MY) वोटों के दम पर BJP को पटखनी देने पर है। लालू यादव की अगवाई वाली पार्टी ने तसलीमुद्दीन के बेटे सरफराज आलम को मैदान उतारा है जबकि BJP ने प्रदीप सिंह को खड़ा किया है। प्रदीप यहां से 2009 में चुनाव जीत चुके हैं जबकि 2014 में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था।
दूसरी ओर जहानाबाद और भभुआ के मौजूदा विधायकों के निधन के बाद यहां मतदान कराया गया है। जहानाबाद सीट पर RJD का कब्जा था और यहां से दिवंगत विधायक मुंद्रिका यादव के बेटे कृष्ण मोहन RJD के टिकट पर मैदान में हैं जबकि भभुआ से BJP ने दिवंगत विधायक आनंद भूषण पांडे की पत्नी रिंकी रानी को मैदान में उतारा है। उपचुनाव में 11 मार्च को वोटिंग हुई थी और 14 मार्च को नतीजे आने के बाद पता चल जाएगा कि ऊंट किस करवट बैठता है।
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