कोलकाता: पश्चिम बंगाल कांग्रेस में अंदरूनी कलह बृहस्पतिवार को तब सामने आ गई जब वरिष्ठ नेता अब्दुल मन्नान की ओर से राज्य में कथित तौर पर बिगड़ती कानून एवं व्यवस्था के खिलाफ निकाले गए विरोध मार्च में कई प्रमुख नेताओं ने हिस्सा नहीं लिया।
विधानसभा में विपक्ष के नेता मन्नान के नेतृत्व में मध्य कोलकाता के एस्प्लेनेड इलाके से लालबाजार इलाके में स्थित पुलिस मुख्यालय तक मार्च निकाला गया। इस मार्च के जरिए राज्य में राजनीतिक हिंसा और पार्टी कार्यकर्ताओं पर कथित हमलों को बंद करने की मांग की गई है।
इस मार्च में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सोमेन मित्रा, विधायक शंकर मालाकर और वरिष्ठ नेता दीपा दासमुंशी का शामिल नहीं होना चर्चा का विषय रहा। पार्टी सूत्रों ने बताया कि विरोध मार्च प्रदेश नेतृत्व की अनुमति के बिना आयोजित किया गया था।
कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘‘मार्च का प्रदेश कांग्रेस से कुछ लेना-देना नहीं है। अगर हम इसे बुलाते तो हम निश्चित रूप से रैली में हिस्सा लेते।’’ आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए, मन्नान ने कहा कि तृणमूल कांग्रेस के कुशासन से लड़ने में दिलचस्पी रखने वाले लोगों ने आज की रैली में हिस्सा लिया।
इस बीच, मार्च के दौरान पार्टी कार्यकर्ताओं और पुलिस कर्मियों के बीच धक्का-मुक्की हो गई। इसके बाद कुछ कार्यकर्ताओं को हिरासत में ले लिया गया।
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