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Hindi News भारत राजनीति मरीना बीच पर जगह के लिए ‘मैं मुख्यमंत्री के सामने लगभग गिड़गिड़ाया’: स्टालिन

मरीना बीच पर जगह के लिए ‘मैं मुख्यमंत्री के सामने लगभग गिड़गिड़ाया’: स्टालिन

द्रमुक के दिवंगत नेता एम करूणानिधि को दफनाए जाने की जगह को लेकर छिड़ा विवाद खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है।

<p>एम के स्टालिन।</p>- India TV Hindi Image Source : PTI एम के स्टालिन।

चेन्नई: द्रमुक के दिवंगत नेता एम करूणानिधि को दफनाए जाने की जगह को लेकर छिड़ा विवाद खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष एमके स्टालिन ने  कहा कि वह मरीना बीच पर जगह के लिए मुख्यमंत्री के पलानीस्वामी के सामने ‘‘लगभग गिड़गिड़ाए।’’ वहीं सरकार ने कहा कि कानूनी मसलों पर विचार करते हुए द्रविड़ नेता को दफनाए जाने के लिए कहीं और स्थान देने का फैसला किया गया था। उसने कहा कि राजकीय सम्मान सुनिश्चित करके सरकार ने नेता को ‘अभूतपूर्व सम्मान’ दिया है। स्टालिन ने कहा कि इस मामले पर उन्होंने अपने वरिष्ठ सहयोगियों के सुझाव पर ध्यान नहीं दिया कि उन्हें पलानीस्वामी से मिलकर आग्रह करने की जरूरत नहीं है और वे यह काम कर लेंगे। उन्होंने कहा, ‘‘ मैं थलैवर (नेता--करूणानिधि) के सम्मान के खातिर अपनी गरिमा गंवाने को तैयार था और मुख्यमंत्री से मिला और (मरीना बीच पर जगह के लिए) अपना मामला उठाया।’’ 

स्टालिन ने करूणानिधि के निधन पर शोक जताने के लिए बुलाई द्रमुक की कार्यकारी समिति की बैठक में कहा, ‘‘ उन्होंने नियमों का हवाला देकर कहा कि यह संभव नहीं है और इस संबंध में कानूनी राय भी है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ मैंने (मुख्यमंत्री से) कहा कि कानूनी सलाहकार सिर्फ सरकार की ही बातें रखेंगे... मैं मुख्यमंत्री के सामने लगभग गिड़गिड़ाया, उनके हाथ पकड़कर हमारे थलैवर की इच्छा (अन्ना स्मारक के करीब दफनाए जाने की ख्वाहिश) को पूरा करने के लिए समर्थन मांगा।’’ 

सीएन अन्नादुरई को प्यार से अन्ना कहा जाता है। वह द्रमुक के संस्थापक और करूणानिधि के मार्गदर्शक थे। स्टालिन ने कहा कि पलानीस्वामी ने यह स्वीकार नहीं किया और हमें विदा करने के लिए सिर्फ इतना कहा कि मामले पर विचार किया जाएगा। इसके बाद राज्य सरकार ने गिंडी में पूर्व मुख्यमंत्रियों सी राजगोपालाचारी और के. कामराज के स्मारकों के पास स्थान आवंटित करने का ऐलान किया जिसके बाद द्रमुक ने अदालत का दरवाजा खटखटाया जहां से पार्टी को उसके पक्ष में फैसला मिला।

द्रमुक के कार्यकारी अध्यक्ष ने कहा कि उनके पिता ने अपने जीवन में कई संघर्षों में कामयाबी हासिल की और ‘अपनी मौत के बाद भी वह जीते।’’ आलोचना पर प्रतिक्रिया देते हुए अन्नाद्रमुक ने कहा कि सरकार शुरू में मरीना बीच पर द्रमुक नेता को दफनाए जाने के लिए जगह आवंटित नहीं कर सकी क्योंकि वहां पर स्मारकों के निर्माण के खिलाफ मामले लंबित थे। वरिष्ठ पार्टी नेता और राज्य के मत्स्य पालन मंत्री डी जयकुमार ने कहा, ‘‘ हमने मुख्यमंत्री की अगुवाई में राजाजी हॉल में (उनके पार्थिव शरीर) को श्रद्धाजंलि दी। सरकार की तरफ से और मुख्यमंत्री के निर्देश पर मैं उन्हें दफनाए जाने के वक्त वहां मौजूद था।’’ 

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