अपना पद छोड़ने से पहले राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने दो और क्षमा याचिकाओं को ठुकरा दिया है। प्रणब मुखर्जी का कार्यकाल 24 जुलाई को समाप्त हो रहा है। इससे पहले राष्ट्रपति ने दोनों क्षमा याचिकाओं का खारिज कर दिया है। इस तरह मुखर्जी द्वारा क्षमा याचिकाओं की ठुकराए जाने की संख्या 30 हो गयी है। (AAP में कुमार विश्वास के खिलाफ पोस्टर वार शुरू, 'भाजपा का यार है कवि नहीं गद्दार है')
खारिज की गई क्षमा याचिकाओं में पहला केस 2012 का है, जिसमें चार साल की एक बच्ची का रेप और फिर उसकी हत्या कर दी गई थी। मामला इंदौर का है जिसमें तीन लोगों को दोषी पाया गया था। वहीं दूसरा केस पुणे का है, जिसमें कैब ड्राइवर पर अपने साथी के साथ मिलकर युवती का रेप और हत्या के मामले में दोषी हैं।
दोनों केस राष्ट्रपति को अप्रैल और मई में भेजे गए थे। इंदौर केस में बाबू उर्फ केतन (22), जितेंद्र उर्फ जीतू (20) और देवेंद्र उर्फ सनी (22) पर चार साल की बच्ची का अपहरण, रेप और हत्या का आरोप था, जिसमें सभी दोषी पाए गए हैं। दूसरा मामला पुणे का है, जिसमें पुरुषोत्म दसरथ बोरेट और प्रदीप यशवंद कोकडे को विप्रों में काम करने वाली एक 22 वर्षिय युवती की हत्या और रेप के मामले में दोषी पाया गया है। इन मामलों में कोर्ट ने दोषियों को फांसी की सजा सुनाई है।
इसके अलावा राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने 26/11 हमले के दोषी अजमल कसाब, 2001 संसद हमले में दोषी अफजल गुरु, मुंबई ब्लास्ट में दोषी याकुब मेनन की भी क्षमा याचिका खारिज कर दी थी।
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