अटलजी के स्वर में हार को जीत में बदलने की ताकत थी : नरेन्द्र मोदी
‘‘इंडिया फर्स्ट’’ को अटल बिहारी वाजपेयी के जीवन का ध्येय बताते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि हार और जीत उनके मन पर असर नहीं करती थी और उनके स्वर में पराजय को विजय में बदलने की ताकत थी।
नयी दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि हार और जीत उनके मन पर असर नहीं करती थी और उनके स्वर में पराजय को विजय में बदलने की ताकत थी। उन्होंने ‘‘इंडिया फर्स्ट’’ को अटल बिहारी वाजपेयी के जीवन का ध्येय बताया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने एक लेख में लिखा है, ‘‘ हार और जीत उनके मन पर असर नहीं करती थी। सरकार बनी तो भी और एक वोट से गिरा दी गई तब भी। ’’ उन्होंने लिखा, ‘‘ उनके (अटलजी) स्वरों में पराजय को भी विजय के ऐसे गगनभेदी विश्वास में बदलने की ताकत थी कि जीतने वाला ही हार मान बैठे। ’’ यह लेख साहित्य अमृत’’ पत्रिका के अटल स्मृति अंक में प्रकाशित हुआ है।
पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेयी द्वारा देश के गरीब, वंचित और शोषित वर्ग के जीवन स्तर को ऊपर उठाने के लिये किए गए प्रयासों को रेखांकित करते हुए प्रधानमंत्री ने लिखा कि अटलजी कभी लीक पर नहीं चले, उन्होंने सामाजिक और राजनीतिक जीवन में नए रास्ते बनाए और तय किये। प्रधानमंत्री ने भारतीय प्रौद्योगिकी के शिखर छूने का श्रेय भी वाजपेयी को दिया और कहा कि वह भारत की विजय एवं विकास के स्वर थे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अटल जी की कमी को कुछ इस तरह बयान किया है, ‘‘ अटलजी अब नहीं रहे। मन नहीं मानता। अटलजी मेरी आंखों के सामने हैं, स्थिर हैं। जो हाथ मेरी पीठ पर धौल जमाते थे, जो स्नेह से, मुस्कराते हुए मुझे अंकवार में भर लेते थे, वे स्थिर हैं। अटलजी की ये स्थिरता मुझे झकझोर रही है, अस्थिर कर रही है, लेकिन कह नहीं पा रहा।’’
उन्होंने कहा कि कभी सोचा नहीं था कि अटलजी के बारे में ऐसा लिखने के लिये कलम उठानी पड़ेगी। देश और दुनिया अटलजी को एक स्टेट्समैन, धाराप्रवाह वक्ता, संवेदनशील कवि, विचारवान लेखक, धारदार पत्रकार के तौर पर जानती है। लेकिन मेरे लिये उनका स्थान इससे भी ऊपर था। पीएम मोदी ने कहा, ‘‘सिर्फ इसलिये नहीं कि मुझे उनके साथ वर्षो तक काम करने का अवसर मिला बल्कि इसलिये कि मेरे जीवन, मेरी सोच, मेरे आदर्शो, मूल्यों पर जो छाप उन्होंने छोड़ी, जो विश्वास उन्होंने मुझ पर किया, उसने मुझे गढ़ा है, हर स्थिति में मुझे अटल रहना सिखाया है।’’
प्रधानमंत्री ने अपने लेख में लिखा कि स्वतंत्रता के बाद लोकतंत्र की रक्षा और 21वीं सदी के सशक्त, सुरक्षित भारत के लिये अटलजी ने जो किया, वह अभूतपूर्व है। उन्होंने कहा, ‘‘ अटलजी के लिये राष्ट्र सर्वोपरि था, बाकी सब का कोई महत्व नहीं। इंडिया फर्स्ट.. भारत प्रथम... यह मंत्र वाक्य उनका जीवन ध्येय था। पोखरण देश के लिये जरूरी था तो प्रतिबंधों एवं आलोचनाओं की चिंता नहीं की क्योंकि देश प्रथम था।’’
पीएम मोदी ने कहा कि सुपर कम्प्यूटर नहीं मिले, क्रायोजेनिक इंजन नहीं मिले तो परवाह नहीं की, हम खुद बनायेंगे, हम खुद अपने दम पर , अपनी प्रतिभा और वैज्ञानिक कुशलता के बल पर असंभव दिखने वाले कार्य संभव कर दिखायेंगे। और ऐसा किया भी। दुनिया को चकित किया। सिर्फ एक ताकत उनके भीतर काम करती थी.. देश प्रथम जिद।
प्रधानमंत्री ने अटलजी को नमन करते हुए लिखा कि उनका प्रखर राष्ट्रवाद और राष्ट्र के लिये समर्पण करोड़ों देशवासियों को प्रेरित करता रहा है क्योंकि राष्ट्रवाद उनके लिये नारा नहीं बल्कि जीवन शैली थी। पत्रिका में अटल बिहारी वाजपेयी के करीबी सहयोगियों, उनके साथ काम करने वाले साठ से अधिक लोगों ने लेख लिखे हैं और अपने अनुभव साझा किये हैं।