नई दिल्ली: दिल्ली में आज RSS और इससे जुड़े संगठनों की मीटिंग शुरू हुई। दिल्ली के मध्यांचल भवन में हुई इस मीटिंग में RSS चीफ मोहन भागवत समेत संघ के तमाम बड़े नेता शामिल हए। बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह, फाइनेंस मिनिस्टर अरूण जेटली, होम मिनिस्टर राजनाथ सिंह, विदेश मंत्री सुषमा स्वराज, सरफेस ट्रांसपोर्ट मिनिस्टर नितिन गडकरी और पार्लियामेंट अफेयर्स मिनिस्टर वेंकैया नायडू समेत कई मंत्री और नेताओं ने मीटिंग में हिस्सा लिया। बैठक में चार अहम क्षेत्रों में बातचीत होने की उम्मीद है। इनमें आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और शिक्षा शामिल है। बीजेपी नेता राममाधव ने कहा कि ये समन्वय मीटिंग है। इसमें सरकार के कामकाज की समीक्षा जैसी कोई बात नहीं हैं।
RSS की इस मैराथन मीटिंग पर बीजेपी के विरोधियों की भी नजर है। उमर अब्दुल्ला ने सबसे पहले ट्विट किया उन्होंने कहा कि सरकार के बड़े-बड़े मंत्री RSS से ज्ञान ले रहे हैं। RSS मोदी सरकार के पन्द्रह महीने के कामकाज का रिपोर्ट कार्ड पेश कर रही है। क्या RSS अब भी कहेगा कि वो सामाजिक संगठन हैं। कांग्रेस ने भी कहा अब ये साबित हो गया कि सरकार का रिमोट RSS के हाथ में हैं।
राम माधव पहले RSS के प्रवक्ता थे। दो साल पहले बीजेपी में आए। अब बीजेपी के महासचिव हैं। इसलिए मीटिंग से पहले उन्होंने बीजेपी और RSS दोनों की तरफ से ब्रीफ किया। मीटिंग शुरू के बाद इस तरह की खबरें आईं कि मीटिंग में राम मंदिर का मुद्दा भी उठा लेकिन राम माधव ने इन खबरों को गलत बताया। उन्होंने कहा कि राम मंदिर RSS के एजेंडे़ में है लेकिन इस मीटिंग के एजेंडे में नहीं।
वैसे RSS और बीजेपी के नेताओं की इस तरह की मीटिंग कोई नई नहीं हैं। अटल बिहारी वाजपेयी के जमाने में भी होती थी। मोदी सरकार बनने के बाद पिछले साल भी हुई थी। ये तीसरी मीटिंग है फर्क ये है कि इस बार सरकार के सभी आला मंत्री शामिल हुए हैं और खबर ये भी है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी इस मीटिंग में शामिल होंगे। मोटे तौर पर इस मीटिंग का उद्देश्य ये है कि RSS और सरकार के बीच में गैप न रहे।
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