गुवाहाटी: असम में दिसंबर 2019 में नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) के खिलाफ हुए हिंसक प्रदर्शनों में कथित भूमिका के लिए राज्य के विधायक अखिल गोगोई व उनके सहयोगियों को यहां एक विशेष NIA अदालत ने बरी कर दिया। यह फैसला UAPA के तहत दर्ज आरोपों में जेल में बंद लोगों के लिए उदाहरण का काम कर सकता है। NIA अदालत ने कहा कि इस बात का कोई संकेत नहीं है कि ‘बंद की बात करने’ से देश की आर्थिक सुरक्षा को खतरा पैदा हुआ या यह एक आतंकवादी कृत्य था। गोगोई करीब 19 महीने तक जेल में रहने के बाद गुरुवार को रिहा हुए।
गोगोई पर दर्ज किए गए थे 13 मामले
असम की शिवसागर विधानसभा सीट से निर्दलीय विधायक गोगोई को विशेष NIA अदालत के आदेश के बाद गौहाटी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल (GMCH) से रिहा कर दिया गया। वहां उनका कई बीमारियों का उपचार चल रहा था। अदालत ने गुवाहाटी केंद्रीय कारागार को उनकी रिहाई का आदेश दिया था। रिहा होने के बाद राइजोर दल के प्रमुख ने कहा, ‘आखिरकार सत्य की जीत हुई, हालांकि मुझे सलाखों के पीछे रखने में कोई कसर नहीं छोड़ी गई।’ गोगोई पर CAA प्रदर्शन को लेकर 13 मामले दर्ज किए गए थे।
गोगोई ने फैसले को बताया ऐतिहासिक
उन्होंने फैसले को ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि विशेष NIA न्यायाधीश प्रांजल दास ने न्यायपालिका की स्वतंत्रता को सिद्ध किया है। उन्होंने कहा, ‘इससे पहले मुझे सलाखों के पीछे रखने के लिए कानून का इस्तेमाल किया गया था लेकिन NIA न्यायाधीश ने एक निष्पक्ष फैसला सुनाकर मिसाल पेश की है और उन्होंने न्यायपालिका में लोगों के विश्वास को बहाल किया है। उनके फैसले से एक मिसाल कायम होगी और उन लोगों को जेल से बाहर निकलने में मदद मिलेगी जो CAA के खिलाफ प्रदर्शन करने या अनेक मुद्दों पर सरकार का विरोध करने के मामले में अब भी जेल में हैं।’
12 दिसंबर 2019 को गिरफ्तार हुए थे गोगोई
गोगोई रिहा होने के बाद सबसे पहले सैम स्टैफोर्ड के गुवाहाटी के हाथीगांव स्थित घर गए और उन्हें ‘CAA का प्रथम शहीद’ करार दिया। गोगोई ने स्टैफोर्ड के परिवार को कुछ पैसे भी दिए। गोगोई ने कहा, ‘मैंने उनके परिवार को कुछ पैसे देने के लिए अपनी पत्नी से उधार लिया।’ उन्होंने कहा कि वह CAA विरोधी प्रदर्शनों के दौरान ‘शहीद हुए 4 अन्य लोगों’ के घर भी जाएंगे। गोगोई को राज्य में CAA विरोध-प्रदर्शनों के वक्त जोरहाट से 12 दिसंबर 2019 को ‘एहतियाती कदम’ के तौर पर गिरफ्तार किया गया था। बाद में उन्हें NIA को सौंप दिया गया और हिंसक प्रदर्शनों में भूमिका तथा माओवादियों से संबंधों के आरोप में उन पर UAPA के तहत मामला दर्ज किया गया। (भाषा)
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