नई दिल्ली: नागरिकता कानून को लेकर जारी हिंसक विरोध प्रदर्शनों का असर देश के दूसरे हिस्से में हो रहा है। सरकार कह रही है कि ये विपक्ष की ओर से प्रायोजित है जबकि विपक्ष मोदी सरकार पर निशाना साधने में कोई कोर कसर नही छोड़ रही है। कांग्रेस हो या लेफ्ट, एसपी हो या बीएसपी, सब संविधान के दुरुपयोग की दुहाई दे कर अपनी सियासत चमकाने में लगे है। ममता बनर्जी तो दो कदम आगे निकल गई। अब वो इस मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र की निगरानी में जनमत संग्रह की बात करने लगी हैं।
नए नागरिकता कानून के नाम पर देश में ऐसा झूठ फैलाया जा रहा है कि लोग सड़कों पर उतर आए हैं। नारे लग रहे हैं, गोलियां चल रही है और मौत हो रही है। सवाल है इसका जिम्मेदार कौन है? पिछले एक हफ्ते से पूरे देश में कोहराम मचा है। दिल्ली, उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल समेत कई राज्यों में विरोध की आग फैलती ही जा रही है। लखनऊ में कल ये प्रदर्शन हिंसक हो गया और गोलियां चल गई।
पुलिस इस माहौल को संभालने के लिए क्या नहीं कर रही है लेकिन उपद्रवियों ने कई शहरों में आग लगा दी है। उसकी नतीजा हुआ कि लखनऊ में मोबाइल इंटरनेट और एसएमएस सेवा 21 दिसंबर तक बंद है। उत्तर प्रदेश के 11 जिलों में इंटरनेट बैन है। कर्नाटक के मंगलौर में 22 दिसंबर तक कर्फ्यू बढ़ाया गया है। देशभर में 2000 से ज्यादा लोग हिरासत में लिए गए हैं।
ये सिर्फ वो सूचनाएं हैं जो खबरों में है, वर्ना पुलिस हर शहर में सुरक्षा चक्र बना रही है। बिहार अगले तीन दिनों तक लगातार बंद रहेगा। कल वामपंथियों ने बंद बुलाया था, आज मुस्लिम संगठनों ने, 21 दिसंबर को आरजेडी ने और 22 को फिर से बिहार के कई शहरों में बंद का ऐलान किया गया है। बिहार के पड़ोसी राज्य बंगाल में भी यही तस्वीर है। ममता बनर्जी चार दिन से सड़कों पर है। नागरिकता पर शुरु हुई इस बहस को अब वो जनमत संग्रह पर समाप्त करना चाहती है।
ममता ने बीजेपी को चुनौती भरे लहजे में कहा कि सत्तारूढ़ पार्टी में दम है तो उसे संयुक्त राष्ट्र की निगरानी में नागरिकता कानून और एनआरसी पर जनमत संग्रह करा लेना चाहिए। उन्होंने यह बात सार्वजनिक रूप से विरोध प्रदर्शन करते हुए कही। भारत के आंतरिक मामले में विदेशी हस्तक्षेप की मांग हैरान करने वाली है।
वहीं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ऐलान किया है कि उपद्रवियों की संपत्ति जब्त कर सार्वजनिक संपत्ति को हुए नुकसान की भरपाई की जाएगी। इस संबंध में उन्होंने अपर मुख्य सचिव (गृह) और डीजीपी को आदेश दिया है कि उपद्रवियों से सख्ती से निपटा जाए और एक-एक उपद्रवी की पहचान कर उनकी संपत्ति जब्त कर नुकसान की भरपाई करने की कार्रवाई की जाएगी। बीजेपी लगातार कह रही है कि ये विरोध विपक्ष का प्रायोजित विरोध है। अमित शाह कह चुके हैं इसे वापस लेने का सवाल नहीं है।
Latest India News