मुंबई: शिवसेना ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ में दिल्ली में अशांति को लेकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पर बड़ा हमला बोला है। शुक्रवार को शाह की आलोचना करते हुए शिवसेना ने कहा कि जब राष्ट्रीय राजधानी हिंसा में जल रही थी तब वह कहीं नहीं दिखे। शिवसेना ने कहा कि हिंसा होने के 3 दिन बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शांति की अपील की और अजित डोवल लोगों से बात करने के लिए। बीजेपी की पूर्व सहयोगी ने सवाल किया कि नुकसान हो जाने के बाद इसकी क्या आवश्यकता थी।
‘शाह ने प्रचार के लिए काफी वक्त दिया’
सामना में कहा गया है कि शाह ने हाल ही में संपन्न दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार, बीजेपी उम्मीदवारों के लिए समर्थन जुटाने के वास्ते घर-घर जाकर पर्चे बांटने में भरपूर वक्त दिया। बीजेपी के पूर्व सहयोगी दल ने कहा कि दिल्ली पुलिस केंद्रीय गृह मंत्रालय के तहत आती है लेकिन अब यह हैरान करने वाला है कि जब 38 लोगों की जान चली गई और सार्वजनिक तथा निजी संपत्ति को बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचा तब शाह कहीं नहीं दिखे।
‘सोनिया ने मांगा है शाह का इस्तीफा’
शिवसेना ने कहा, ‘अगर इस समय कांग्रेस या कोई अन्य पार्टी केंद्र में सत्ता में होती और बीजेपी विपक्ष में होती तो पार्टी गृह मंत्री का इस्तीफा मांगती और अपनी मांग को लेकर मोर्चा निकालती। अब ये सब नहीं होगा क्योंकि बीजेपी सत्ता में है और विपक्ष कमजोर है, लेकिन फिर भी कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने शाह का इस्तीफा मांगा है। शिवसेना ने दिल्ली में बिगड़ रहे हालात को काबू में करने के लिए की गई कार्रवाई में देरी पर भी सवाल खड़े किए।’
‘तो क्या राष्ट्र विरोधी होगा विपक्षी एमपी’
उसने कहा, ‘जब गृह मंत्री 24 फरवरी को अहमदाबाद में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का स्वागत कर रहे थे तो दिल्ली में IB के एक अधिकारी की हत्या कर गई। 3 दिन बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शांति की अपील की और NSA अजीत डोभाल लोगों से बात करने के लिए दिल्ली की सड़कों पर आए। नुकसान होने के बाद इन सभी कदमों की अब क्या जरूरत है? अगर विपक्ष संसद में दिल्ली दंगों का मुद्दा उठाता है तो क्या उसे राष्ट्र विरोधी कहा जाएगा?’
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