'कांग्रेस की सोच पर मुस्लिम शब्द चिपक गया है', नागरिकता बिल पर राज्यसभा में बोले अमित शाह
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि नागरिकता बिल कभी न लाना पड़ता, ये कभी संसद में न आता, अगर भारत का बंटवारा न हुआ होता। बंटवारे के बाद जो परिस्थितियां आईं, उनके समाधान के लिए मैं ये बिल आज लाया हूं।
नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि नागरिकता बिल कभी न लाना पड़ता, ये कभी संसद में न आता, अगर भारत का बंटवारा न हुआ होता। बंटवारे के बाद जो परिस्थितियां आईं, उनके समाधान के लिए मैं ये बिल आज लाया हूं। पिछली सरकारें समाधान लाईं होती तो भी ये बिल न लाना होता। कांग्रेस की सोच पर मुस्लिम शब्द चिपक गया है। बता दें कि शाह राज्यसभा में नागरिकता संशोधन बिल पर विपक्ष के सवालों का जवाब दे रहे थे।
शाह ने कहा, ''हमारे पास 5 साल के लिए बहुमत है, हम भी चाहते तो बाकी की सरकारों की तरह काम कर लेते, लेकिन मोदी सरकार देश की स्थिति को सुधारने के लिए आई है। हम देश की समस्याओं को सुलझाने के लिए सत्ता में आए हैं। अगर देश का विभाजन न हुआ होता और धर्म के आधार पर न हुआ होता तो हमें आज यह बिल लेकर आने की जरूरत नहीं पड़ती। लाखों लोग आज चीत्कार-चीत्कार कर कहते हैं कि मेरे साथ अन्याय हुआ है।''
उन्होंने कहा, ''हमने किसी के इरादों पर शंका नहीं की। इसे राजनीतिक दृष्टिकोण से नहीं देखना चाहिए। हम ध्यान भटकाने के लिए नहीं आए हैं। ये बिल 2015 में लेकर आए थे। पहले की सरकारों ने समाधान करने की कोशिश नहीं की। हम चुनावी राजनीति अपने दम पर लड़ते हैं। देश की समस्याओं का समाधान करना हमारा काम है। सरकारों का काम है। नेहरू-लियाकत समझौते के तहत दोनों पक्षों ने स्वीकृति दी कि अल्पसंख्यक समाज के लोगों को बहुसंख्यकों की तरह समानता दी जाएगी, उनके व्यवसाय, अभिव्यक्ति और पूजा करने की आजादी भी सुनिश्चित की जाएगी, ये वादा अल्पसंख्यकों के साथ किया गया। लेकिन वहां लोगों को चुनाव लड़ने से भी रोका गया, उनकी संख्या लगातार कम होती रही और यहां राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, चीफ जस्टिस जैसे कई उच्च पदों पर अल्पसंख्यक रहे। यहां अल्पसंख्यकों का संरक्षण हुआ।''
गृहमंत्री ने आगे कहा, ''इस बिल में उनके लिए व्यवस्था की गई है जो पड़ोसी देशों में धार्मिक आधार पर प्रताड़ित किए जा रहे हैं। जिनके लिए वहां अपनी जान बचाना, अपनी माताओं-बहनों की इज्जत बचाना मुश्किल है। ऐसे लोगों को यहां की नागरिकता देकर हम उनकी समस्या को दूर करने के प्रयास कर रहे हैं। हमारे लिए प्रताड़ित लोग प्राथमिकता हैं जबकि विपक्ष के लिए प्रताड़ित लोग प्राथमिकता नहीं हैं। आज नरेन्द्र मोदी जी जो बिल लाए हैं, उसमें निर्भीक होकर शरणार्थी कहेंगे कि हां हम शरणार्थी हैं, हमें नागरिकता दीजिए और सरकार नागरिकता देगी। जिन्होंने जख्म दिए वही आज पूछते हैं कि ये जख्म क्यों लगे?''