चेन्नई: पार्टी से दरकिनार कर दिए गए उपमहासचिव टी. टी. वी. दिनाकरण ने अन्नाद्रमुक के दोनों धड़ों के विलय को पार्टी महासचिव वी. के. शशिकला के साथ धोखा बताया है। मुख्यमंत्री के. पलानीस्वामी और ओ. पनीरसेल्वम के नेतृत्व वाले दोनों धड़ों के बीच अचानक कल हुए विलय पर चुप्पी तोड़ते हुए दिनाकरण ने बीती रात कई सारे ट्वीट करके इस समझाौते के टिकाऊपन पर सवाल उठाया।
उन्होंने दावा किया, यह विलय नहीं है। यह निजी-हित, पदों के लालच और पदों की रक्षा के लिए किया गया व्यावसायिक सौदा है। अपनी राजनीतिक यात्रा जारी रखने का दावा करते हुए दिनाकरण ने पार्टी को बचाने तथा दो पत्तियों वाले पार्टी के चुनाव चिन्ह को वापस लाने का संकल्प जताया।
गौरतलब है कि आरके नगर विधानसभा सीट पर प्रस्तावित 14 अप्रैल के उपचुनाव से पहले निर्वाचन आयोग ने इस चुनाव चिन्ह को फ्रीज कर दिया था। उपचुनाव बाद में रद्द हो गया था और सीट अभी तक रिक्त है।
शशिकला के रिश्तेदार दिनाकरण फिलहाल गला खराब होने और बुखार के कारण डॉक्टर की सलाह पर आराम कर रहे हैं और वह कल मीडिया से रूबरू होंगे। उन्होंने कहा, सिर्फ भगवान जानता है कि यह विलय कितने दिन टिकेगा। 1989 में, कार्यकर्ताओं की इच्छा के विरूद्ध अम्मा दिवंगत मुख्यमंत्री जे जयललिता को पार्टी का महासचिव स्वीकार किया गया और सभी उनके नेतृत्व में आ गये।
वह अन्नाद्रमुक के संस्थापक और दिवंगत मुख्यमंत्री एम. जी. रामचन्द्रन के दिसंबर 1987 में निधन के बाद पार्टी के दो धड़ों में बंटने और फिर जयललिता के नेतृत्व में सबके साथ आने वाले घटनाक्रम का जिक्र कर रहे थे। तत्कालीन मुख्यमंत्री के निधन के बाद रामचन्द्रन की पत्नी जानकी को मुख्यमंत्री बनाया गया था और जयललिता ने पार्टी कार्यकर्ताओं के अपने साथ होने का दावा किया था, जिसके बाद पार्टी दो हिस्सों में बंट गई थी।
दिनाकरण ने दावा किया, लेकिन आज, कार्यकर्ता उस विलय को स्वीकार नहीं करेंगे, जिसके साथ पार्टी महासचिव शशिकला को पद से हटाने की घोषणा की गयी है। वह भी तब जब उन्होंने ही महासचिव को स्वीकार किया था। उन्होंने कहा कि यह धोखा है। नेता ने दावा किया कि ना सिर्फ पार्टी कार्यकर्ता बल्कि जनता भी ऐसे लोगों को माफ नहीं करेगी जो महासचिव को धोखा दे रहे हैं, जबकि उन्होंने जयललिता की मौत के बाद पन्नीरसेल्वम और पलानीस्वामी को मुख्यमंत्री बनाया था।
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