BLOG: BJP की इस चाल से अहमद पटेल का राज्यसभा में पहुंचना मुश्किल?
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार से कांग्रेस पूरी तरह उबरी भी नहीं थी कि बिहार में महागठबंधन की गांठ खुल गई। नीतीश कुमार ने वापस भजपा का दामन थाम लिया।
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार से कांग्रेस पूरी तरह उबरी भी नहीं थी कि बिहार में महागठबंधन की गांठ खुल गई। नीतीश कुमार ने वापस भजपा का दामन थाम लिया। अभी कांग्रेस बिहार में आंकड़ों के इस खेल को समझ ही रही थी कि गुजरात के सियासी उलट-फेर ने उसके सामने नई चुनौती खड़ी कर दी। गुजरात राज्यसभा चुनाव से पहले गुजरात कांग्रेस में बड़ी बगावत हो गई है।
शंकर सिंह वाघेला के करीबी 6 विधायकों बलवंत सिंह राजपूत, पी.आई पटेल, तेजश्री पटेल, मान सिंह चौहान, छनाभाई चौधरी और राम सिंह परमार ने कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता के साथ-साथ विधानसभा सदस्यता से भी इस्तीफा दे दिया। बलवंत सिंह राजपूत विधानसभा में कांग्रेस के मुख्य सचेतक रहे हैं। पहले गुजरात में कांग्रेस के कद्दावर नेता शंकर सिंह वाघेला के पार्टी छोड़ने और फिर 6 विधायकों के इस्तीफे से कांग्रेस के सामने अपने वरिष्ठ नेता अहमद पटेल की राज्यसभा सीट बचाने की चुनौती खड़ी हो गई है। 8 अगस्त को राज्यसभा की 3 सीटों के लिए चुनाव होना है कांग्रेस के 6 विधायकों के इस्तीफे के बाद 182 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस के 51 विधायक
रह गए हैं।
राज्यसभा में कांग्रेस उम्मीदवार को जीत के लिए कम से कम 47 विधायकों की पहली वरीयता के वोटों की आवश्यकता होगी। खबर ये भी है कि कांग्रेस के 10 और विधायक पार्टी छोड़ सकते हैं, अगर ऐसा हुआ तो अहमद पटेल का राज्यसभा पहुंचना मुश्किल होगा। भाजपा ने कांग्रेस से पार्टी में शामिल हुए बलवंत सिंह को राज्यसभा का टिकट दे दिया है। भाजपा के पास इतने वोट है कि उसके 2 उम्मीदवार अमित शाह और स्मृति इरानी की जीत पक्की है, इसके बाद भाजपा के पास 29 वोट बचेंगे, ये 29 वोट बलवंत सिंह को मिलने की संभावना है।
शंकर सिंह वाघेला बलवंत सिंह की जीत के मुख्य रणनीतिकार साबित हो सकते हैं। वाघेला कांग्रेस छोड़ चुके हैं लेकिन विधानसभा सदस्यता से इस्तीफा नहीं दिया है, इसीलिए बाकी वोटों का इंतजाम वाघेला कर सकते हैं। वाघेला के इस खेल से अहमद पटेल के लिए राज्यसभा की लड़ाई कठिन हो गई है। अगर कांग्रेस के रणनीतिकार पटेल को राज्यसभा नही पहुंचा पाते तो ये कांग्रेस की बड़ी रणनीतिक के साथ-साथ राजनीतिक हार भी होगी। गुजरात में कांग्रेस के लिए अब राज्यसभा सीट के साथ-साथ आने वाले विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी बचाने की भी चुनौती होगी।
(इस ब्लॉग की लेखिका अर्चना सिंह देश के नंबर वन हिंदी न्यूज चैनल इंडिया टीवी में ऐंकर हैं)