नयी दिल्ली: भाजपा के साथ तनावपूर्ण संबंधों के बीच बिहार के मुख्यमंत्री एवं जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के अध्यक्ष नीतीश कुमार रविवार को यहां पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक को संबोधित करने से पहले पार्टी पदाधिकारियों की बैठक में शिरकत करेंगे। कुमार अगले लोकसभा चुनाव से पहले विभिन्न मुद्दों पर अपनी पार्टी का रुख सामने रख सकते है क्योंकि उनके अगले राजनीतिक कदम के बारे में अटकलों का बाजार गर्म है।
ऐसी अटकल है कि वह राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और कांग्रेस के साथ अपना गठजोड़ बहाल करने को इच्छुक है लेकिन उनकी पार्टी के नेता इसे खारिज कर चुके हैं। इन अटकलों को बिहार में भाजपा के साथ जदयू के मतभेद के कारण बल मिला है। बिहार के क्षेत्रीय दल जदयू के कई नेताओं ने भाजपा नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में 2013 से पहले वाली स्थिति बहाल करने की मांग की है। कुमार ने उसी साल भाजपा से नाता तोड़ा था।
वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में उम्दा प्रदर्शन के बाद भाजपा की राज्य में जड़े मजबूत हुई है और ऐसे में जदयू को बड़े भाई का दर्जा देने की संभावना नहीं है। राजनीतिक प्रेक्षक मानते हैं कि कुमार 2019 में करीब 15 सीटों पर चुनाव लड़ने की जुगत में लगे हैं। वर्ष 2014 के आम चुनाव में भाजपा ने बिहार की 40 लोकसभा सीटों में से 22 सीटें जीती थीं, रामविलास पासवान की लोकजनशक्ति और उपेंद्र कुशवाहा की आरएलएसपी क्रमश: छह और तीन सीटों पर विजय रही। जदयू के खाते में केवल दो सीटें गयी थीं।
नीतीश कुमार भाजपा पर दबाव बरकरार रखने की रणनीति के तहत सियासत के मौसम वैज्ञानिक रामविलास पासवान को भी अपने पाले में खड़े करने की कोशिश कर रहे हैं। 8 जुलाई को जेडीयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक है। इस बैठक से पहले नीतीश कुमार आज दिल्ली में रामविलास पासवान से मुलाकात करेंगे।
माना जा रहा है कि इस बैठक में 12 जुलाई को अमित शाह से मुलाकात के दौरान सीट शेयरिंग को लेकर कैसे दबाव बनाया जाए इसकी रणनीति तय होगी। हालांकि, दूसरी तरफ रामविलास पासवान 2024 तक पीएम की कुर्सी पर नरेंद्र मोदी के काबिज रहने की भविष्यवाणी भी कर रहे हैं।
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