नई दिल्ली: राष्ट्रपति चुनाव के लिए गहमा गहमी तेज होने के साथ आम आदमी पार्टी (AAP) खुद को अलग-थलग पड़ते महसूस कर रही है जबकि राजनीतिक दल इस शीर्ष पद के लिए एक उम्मीदवार का चयन करने के लिए एकजुट होने की कोशिश कर रहे हैं।
विपक्ष के अंदर चल रहे राजनीतिक परामर्श में, या तीन सदस्यीय भाजपा समिति द्वारा शुरू की गई वार्ता में इस पार्टी की भागीदारी अब तक नहीं रही है। आप के एक वरिष्ठ नेता और राजनीतिक मामलों की समिति के सदस्य ने कहा, हमारे समर्थन के लिए किसी बड़ी पार्टी ने हमसे संपर्क नहीं किया है। समिति पार्टी की निर्णय लेने वाली सर्वोच्च इकाई है।
पिछले कुछ दिनों में आप सदस्यों ने माकपा महासचिव सीताराम येचुरी, जदयू नेता शरद यादव और तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी के साथ बातचीत की। लेकिन मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने इस चर्चा से आप को दूर रखा है। वहीं, राकांपा ने यह कहते हुए आप से दूरी बनाए रखी है कि उम्मीदवारों के नाम पर वह सरकार और विपक्ष का रूख स्पष्ट होने का इंतजार कर रही है।
आप के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, राष्ट्रपति चुनाव को लेकर पार्टी के अंदर कोई बड़ी चर्चा नहीं हुई है। देखते हैं कि विपक्ष क्या पेश करता है। इसने ऐसा कहते हुए संकेत दिया कि यह कांग्रेस के सुझाए उम्मीदवार के साथ नहीं जा सकती है लेकिन समूचे विपक्ष द्वारा समर्थति उम्मीदवार का समर्थन कर सकती है।
कांग्रेस ने पिछले महीने हुई विपक्षी नेताओं की एक बैठक में पार्टी को शरीक होने का न्योता नहीं दिया था। दिल्ली में सत्तारूढ़ आप के 86 विधायक और लोकसभा में चार सदस्य हैं। राष्ट्रपति चुनाव 17 जुलाई को होना है।
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