पंजाब: मंत्री नहीं बनाए जाने से नाराज 2 और कांग्रेस विधायकों ने पार्टी के पदों से दिया इस्तीफा
इससे पहले कांग्रेस विधायक संगत सिंह गिलजियां ने इस मुद्दे पर अखिल भारतीय कांग्रेस समिति (एआईसीसी) और पंजाब प्रदेश कांग्रेस समिति के उपाध्यक्ष पद से कल इस्तीफा दे दिया था...
चंडीगढ़: पंजाब मंत्रिमंडल विस्तार में मंत्री नहीं बनाए जाने से नाराज कांग्रेस नेताओं की संख्या बढ़ती जा रही है और इसी क्रम में उसके दो अन्य विधायकों ने पार्टी के पदों से इस्तीफा दे दिया। संगरूर जिले के अमरगढ़ से विधायक सुरजीत सिंह धीमान और फजिल्का के बलुआना से विधायक नत्थू राम ने पंजाब प्रदेश कांग्रेस समिति (पीपीसीसी) के प्रमुख सुनील जाखड़ को पार्टी के पदों से अपना इस्तीफा सौंप दिया। कांग्रेस ने पार्टी प्रमुख राहुल गांधी और पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह के बीच नई दिल्ली में बैठक के बाद कल नौ नए मंत्रियों के नामों पर मुहर लगाई थी। उनके शपथ ग्रहण से कुछ देर पहले ही विधायकों ने पार्टी पदों से इस्तीफा दिया।
इससे पहले कांग्रेस विधायक संगत सिंह गिलजियां ने इस मुद्दे पर अखिल भारतीय कांग्रेस समिति (एआईसीसी) और पंजाब प्रदेश कांग्रेस समिति के उपाध्यक्ष पद से कल इस्तीफा दे दिया था। नत्थू राम ने पीपीसीसी महासचिव पद से इस्तीफे की घोषणा करते हुए कहा कि पार्टी द्वारा दलित समुदाय की उपेक्षा के कारण उन्होंने यह कदम उठाया है। वहीं, सुरजीत सिंह धीमान के पीपीसीसी के उपाध्यक्ष पद से त्यागपत्र की घोषणा उनके बेटे जसविंदर धीमान ने की। राम दलित समाज से आते हैं जबकि सुरजीत पिछड़े वर्ग का प्रतिनिधित्व करते हैं। दो बार के विधायक राम ने कहा, ‘‘मंत्रिमंडल विस्तार में मंत्री पद नहीं दिये जाने से दलित अपमानित महसूस कर रहे हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘पंजाब में दलितों की आबादी 34 फीसदी है और अगर हम इस आंकड़े पर गौर करें तो मंत्रिमंडल में कम-से-कम पांच दलित मंत्री होने चाहिएं।’’ सुरजीत के बेटे ने कहा कि कि पार्टी ने पिछड़े वर्गों की ‘उपेक्षा’ की है। मुख्यमंत्री सिंह ने हालांकि नए मंत्रियों के चयन में किसी तरह के ‘अन्याय’ से इनकार किया। सिंह ने कहा कि सभी धड़े और क्षेत्रों को उचित प्रतिनिधित्व दिया गया है और मुख्य रूप से वरिष्ठता का ख्याल रखा गया है।
पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह के पोते एवं खन्ना से विधायक गुरकीरत सिंह कोटली ने कहा कि पार्टी के लिए चुनाव जीत चुके ‘‘पुराने और पारंपरिक’’ परिवारों का मंत्रिमंडल में पद के लिए विचार करना चाहिए। कपूरथला जिले के सुल्तानपुर लोधी से विधायक नवतेज सिंह चीमा ने कहा, ‘‘मैं मंत्री बनने के सभी मानदंडों पर खरा उतरता हूं लेकिन एक कनिष्ठ व्यक्ति को शामिल किया गया। मैंने तीन चुनाव लड़े और तीनों जीते।’’
कपूरथला जिले के सुल्तानपुर लोधी से विधायक चीमा ने कहा कि वह इस बात से निराश हैं कि दोआबा क्षेत्र को ‘‘नजरअंदाज’’ किया गया। चीमा ने कहा, ‘‘मंत्रिमंडल में दोआबा (सुंदर शाम अरोड़ा) को केवल एक सीट दी गई है और वह भी कंडी क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं। दोआबा के मुख्य क्षेत्र में जालंधर और कपूरथला है जो एनआरआई बेल्ट के लिए जाना जाता है और उसे पूरी तरह नजरअंदाज किया गया है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘जब भी कांग्रेस दोआबा क्षेत्र से सीटें जीतती है तो वह सरकार बनाती है।’’ चीमा ने कहा कि पार्टी ने एक जिले से तीन मंत्री बनाए लेकिन दोआबा को नजरअंदाज किया गया।
डेरा बाबा नानक से विधायक सुखजिंदर सिहं रंधावा को मंत्रिमंडल में शामिल करने के साथ ही गुरदासपुर जिले से अब तीन मंत्री हो गए हैं। जिले के तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा (फतेहगढ़ चूड़ियां) और अरुणा चौधरी (दीनानगर) पहले से ही मंत्रिमंडल में हैं। ओ पी सोनी (अमृतसर मध्य) और सुखबिंदर सरकारिया (राजा सांसी) को शामिल करने के साथ ही अमृतसर से अब तीन मंत्री हो गए हैं। अमृतसर पूर्व से नवजोत सिंह सिद्धू पहले ही मंत्री हैं।
चीमा ने कहा कि वह यह समझ नहीं पाए कि क्यों आखिरी क्षण में उनका नाम हटा दिया गया और वह इस मामले को मुख्यमंत्री के समक्ष उठाएंगे। इस बीच, कोटली ने पंजाब के ‘‘पारंपरिक’’ परिवारों के पक्ष में दलीलें दीं।