Video: 2 साल के अंदर बना स्वदेशी टैंक जोरावर, चीन की सीमा पर होगा तैनात, जानें खासियत
डीआरडीओ प्रमुख डॉ. समीर वी कामथ ने शनिवार को गुजरात के लारसेन और टॉबरो के हजीरा प्लांट का निरीक्षण किया और काम का जायजा लिया।
भारतीय सेना को जल्द ही नए टैंक मिलने जा रहे हैं। यह आकार में छोटे और मुश्किल इलाकों में भी आसानी से चलने में माहिर हैं। इन लाइट वेट टैंक का नाम जोरावर रखा गया है। खास बात यह है कि इन्हें दो साल के अंदर भारत में ही बनाया गया है और अब इन्हें लद्दाख में चीन से जुड़े हुए बॉर्डर पर तैनात किया गया है।
भारत में हथियार बनाने वाली प्रमुख कंपनी रक्षा अनुसंधान और विकास संस्थान ने निजी कंपनी लारसेन और टॉबरो के साथ मिलकर इस टैंक का निर्माण किया है और लाइट टैंक का ट्रायल आखिरी पड़ाव पर है। डीआरडीओ प्रमुख डॉ. समीर वी कामथ ने शनिवार को गुजरात के लारसेन और टॉबरो के हजीरा प्लांट का निरीक्षण किया और काम का जायजा लिया।
आत्मनिर्भर भारत की पहल
भारतीय सेना लंबे समय से हथियारों के लिए विदेशी तकनीक पर ही निर्भर थी। हालांकि, आत्मनिर्भर भारत के तहत देश में हथियार बनाने की पहल को जोर मिला और अब रिकॉर्ड दो साल के अंदर यह टैंक बनाया गया है। इसकी खास बात यह है कि इसे लद्दाख जैसे अधिक ऊंचाई वाले इलाकों के लिए ही तैयार किया गया है। रूस और यूक्रेन संघर्ष से सबक सीखते हुए डीआरडीओ और एलएंडटी ने टैंक में घूमने वाले हथियारों के लिए यूएसवी का उपयोग किया है।
पहली खेप में 59 टैंक
हल्के टैंक ज़ोरावर का वजन 25 टन है। यह पहला मौका है, जब इतने कम समय में किसी नए टैंक को डिजाइन करके परीक्षण के लिए तैयार किया गया है। शुरुआत में सेना को 59 टैंक दिए जाएंगे। इसके बाद सेना को कुल 295 टैंक उपलब्ध कराए जाएंगे। यह टैंक कई खेप में सेना को सौंपे जाएंगे।
18 महीने में सेना में शामिल होने की उम्मीद
भारतीय वायु सेना का सी-17 श्रेणी का परिवहन विमान में एक बार में दो टैंक ले जा सकता है। यह टैंक हल्का है और इसे पहाड़ी घाटियों में तेज गति से चलाया जा सकता है। अगले 12-18 महीनों में परीक्षण पूरे होने और टैंक को सेना में शामिल किए जाने की उम्मीद है। हालांकि, पहले ट्रायल के लिए गोला-बारूद बेल्जियम से आ रहा है, लेकिन डीआरडीओ स्वदेशी गोला-बारूद विकसित करने के लिए तैयार है।