Features of Zorawar Tank: दुनिया के विभिन्न देशों के बीच पिछले कुछ वर्षों से एक के बाद एक भीषण युद्ध देखने को मिल रहा है। इस वजह से तीसरे विश्व युद्ध की आशंका लगातार प्रबल होती जा रही है। ऐसे में सभी देश अपनी सामरिक सुरक्षा को मजबूत करने में जुटे हैं। इस दौरान भारत भी दुश्मन देशों से मुकाबला करने को तैयार रहने के लिए लगातार अपनी सैन्य ताकत बढ़ा रहा है। भारत ने अपने सुरक्षा बेड़े में पहले फ्रांस से आयातित राफेल जैसे लड़ाकू विमान और मेड इन इंडिया आइएनएस विक्रांता जैसा युद्धपोत शामिल किया। अब टैंकों और मिशालों की शक्ति में भी इजाफा कर रहा है। इसी कड़ी में मेड इन इंडिया जोरावर टैंक सामरिक बेड़े में शामिल होने के लिए बेताब है। यह टैंक इतना अधिक ताकतवर है कि इसका नाम सुनकर ही दुश्मन चीन और पाकिस्तान के पसीने छूटने लगे हैं। आइए आपको भी बताते हैं कि क्या है भारत में बने जोरावर टैंक की खासियत जिससे दुनिया के ताकतवर देश भी अभी से थर्राने लगे हैं।
जोरावर टैंक पूरी तरह से भारत में निर्मित है। इसका वजन करीब 25 टन है। यह ड्रोन एकीकरण और आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस से लैस है। यह सक्रिय सुरक्षा प्रणाली के साथ सभी अत्याधुनिक जरूरतों और तकनीकि से सुसज्जित है। जो दुश्मन देशों को मात देने में हर तरह से सक्षम है। इसमें इतने अधिक फीचर हैं कि दुश्मनों के टैंकों और टिकानों को क्षण भर में बर्बाद कर सकता है। इस टैंक के सुरक्षा बेड़े में शामिल होने से भारतीय सेना की ताकत कई गुना बढ़ने जा रही है।
दुर्गम क्षेत्रों में जोरावर टैंक छुड़ा सकता है दुश्मनों के छक्के
आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस के अलावा इसमें मिसाइल सिस्सटम, मुख्य तोपों समेत अन्य हथियार चलाने की प्रणाली विकसित की गई है। हलका होने के कारण इसे दुर्गम से दुर्गम क्षेत्र में कम समय में आसानी से ले जाया जा सकता है। इस टैंक का वजन भले हल्का है, लेकिन इसकी मारक क्षमता इतनी भीषण है कि दुश्मनों के बड़े से बड़े टैंकों पर यह भारी पड़ेगा। यह पूरी तरह से बख्तरबंद टैंक है। यह पलक झपकते ही दुश्मन के सभी ठिकानों को तबाह कर सकता है। इसे हजारों फीट की ऊंचाई और ऊबड़-खाबड़ व बीहड़ पहाड़ी क्षेत्रों पर आसानी से चढ़ाया जा सकता है।
गलवान में झड़प के बाद महसूस हुई जरूरत
दुनिया में युद्ध की प्रकृति लगातार बदल रही है। वर्ष 2020 में चीनी सैनिकों के साथ भारत की झड़प के दौरान इस तरह के हल्के टैंकों की जरूरत महसूस की गई। ताकि दुर्गम क्षेत्रों में इसकी तैनाती करके दुश्मनों का काम तमाम किया जा सके। गलवान में हिंसक झड़प के दौरान चीन की सेना जब पैंगोंग झील की उत्तरी सीमा की ओर बढ़ती जा रही थी तब भारतीय सेना ने दक्षिण में 15000 फीट की ऊंचाई वाली चोटियों पर कब्जा करके चीन के हौसले को पस्त कर दिया था। साथ ही सेना इतनी ऊंचाई पर टी-72 और टी-92 टैंक को भी तैनात कर चुकी थी। भारतीय सेना के इस पराक्रम को देखकर चीनी सैनिकों के पास पीछे हटने के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं था। इस वक्त भारत सामरिक और झुंड ड्रोन को भी अपने सैन्य बेड़े में शामिल कर रहा था। मगर इस दौरान एक ऐसे शक्तिशाली टैंक की जरूरत महसूस की गई, जो हर तरह से दुश्मन को पस्त कर सके। अब इसकी कमी जोरावर टैंक पूरी करेगा।
सभी दुर्गम क्षेत्रों में तैनाती के लिए किया गया डिजाइन
भारत ने इस टैंक को अपने सीमावर्ती क्षेत्र के सभी इलाकों में तैनाती के लिहाज से डिजाइन किया है। आर्टिफीशियल इंटेलीजेंस इसकी बड़ी ताकत है। बख्तरबंद वाहनों के आधुनीकरण का यह जीता-जागता सुबूत है जो दुश्मनों के लिए चिंता का सबब बन रहा है। इसके साथ ही साथ भारतीय सेना नए हथियार के रूप में स्वार्म (झुंड) ड्रोन और काउंटर ड्रोन सिस्टम को भी अपने सामरिक बेड़े में शामिल कर रही है। ताकि हर तरह से दुश्मनों को मात दिया जा सके। जोरावर टैंक अब अगले महीने भारतीय सैन्य बेड़े में रक्षा मंत्रालय की मंजूरी मिलने के बाद शामिल कर लिया जाएगा।
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