गलत गिरफ्तारी पुलिस को पड़ी भारी, कोर्ट ने पांच लाख का लगाया जुर्माना; जानिए कहां का है मामला
अदालत ने पॉक्सो मामले में एक गलत शख्स की गिरफ्तारी को लेकर पुलिस पर 5 लाख रुपये का जुर्माना लगाया। बता दें कि न्यायिक हिरासत में एक साल बिताने के बाद व्यक्ति निर्दोष निकला।
कर्नाटक के दक्षिण कन्नड़ जिले में स्ठानीय अदालत ने एक मामले में पुलिस पर ही जर्माना लगा दिया। दरअसल, पॉक्सो मामले में एक गलत शख्स की गिरफ्तारी को लेकर कोर्ट ने पुलिस पर 5 लाख रुपये का जुर्माना लगाया। बता दें कि शख्स एक साल तक न्यायिक हिरासत में रहा, जिसके बाद वह निर्दोष मामले में निर्दोष पाया गया। कोर्ट ने मामले में फैसला सुनाते हुए पुलिस अधिकारियों को जुर्माने की राशि को अपने वेतन से देने को कहा। यह राशि पीड़ित को मुआवजे के रूप में दी जाएगी।
गलत नवीन को किया अरेस्ट
दरअसल, एक नाबालिग लड़की के साथ रेप के मामले में नवीन के खिलाफ मंगलुरु ग्रामीण पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज किया गया था। पीड़िता का बयान दर्ज करने के बाद सब-इंस्पेक्टर रोसम्मा पी.पी. ने नवीन के खिलाफ पॉक्सो एक्ट के तहत मामला दर्ज किया था। मामला पुलिस इंस्पेक्टर रेवती को सौंपा गया था। जांच के दौरान, एएसआई कुमार ने नवीन के बजाय नवीन सेक्वेरा को गिरफ्तार किया और जज के सामने पेश किया।
'मामले में असल अपराधी को गिरफ्तार नहीं किया गया अरेस्ट'
पीड़ित लड़की ने मजिस्ट्रेट के सामने अपने बयान में आरोपी नवीन के बारे में उल्लेख किया था लेकिन नवीन सेक्वेरा के नाम का उल्लेख नहीं किया था। पीड़िता की तरफ से बहस करने वाले वकीलों ने अदालत के संज्ञान में लाया कि अदालत में पेश किए गए सभी दस्तावेजों में आरोपी के नाम का उल्लेख केवल नवीन के रूप में है, जिसकी उम्र 25 से 26 साल बताई गई है।
उन्होंने तर्क दिया, अदालत के संज्ञान में लाया गया कि गिरफ्तार नवीन सीक्वेरा की उम्र 47 वर्ष है। वकीलों ने तर्क दिया कि पुलिस ने गलत व्यक्ति को गिरफ्तार किया है और उसे एक साल की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। उन्होंने मामले में असल अपराधी को गिरफ्तार नहीं किया है।
अपनी तनख्वाह से चुकानी होगी जुर्माने की रकम- कोर्ट
वकीलों के तर्को पर विचार करते हुए जज के.यू. राधा कृष्ण ने जजमेंट सुनाया कि नवीन सीक्वेरा निर्दोष है, उसे गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश करने पर पुलिस इंस्पेक्टर रेवती व ASI रोसम्मा को जुर्माने की रकम अपनी तनख्वाह से देनी होगी। कोर्ट ने राज्य के गृह मंत्रालय के प्रधान सचिव को पुलिस अधिकारियों पर कानूनी कार्रवाई शुरू करने के लिए भी कहा।