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Hindi News भारत राष्ट्रीय Personal Data Protection Bill: सरकार को क्यों वापस लेना पड़ा 'डाटा प्रोटेक्शन बिल'? आखिर इसमें हमारे लिए ऐसा क्या था, जिसका इतना विरोध हुआ

Personal Data Protection Bill: सरकार को क्यों वापस लेना पड़ा 'डाटा प्रोटेक्शन बिल'? आखिर इसमें हमारे लिए ऐसा क्या था, जिसका इतना विरोध हुआ

Personal Data Protection Bill: भारत सरकार ने पर्सनल डाटा बिल 2021 को वापस ले लिया है। इस बिल को तत्कालीन केंद्रीय आईटी मंत्री ने रविशंकर प्रसाद ने दो साल पहले सदन में पेश किया था। इस बिल को लेकर विपक्षी पार्टियों ने काफी बवाल मचाया था।

Personal Data Protection Bill- India TV Hindi Image Source : PTI Personal Data Protection Bill

Highlights

  • केंद्र सरकार ने लोकसभा में 2019 में विधेयक का एक मसौदा पेश किया
  • दिसंबर 2019 मे बिल को जेसीपी को भेजा गया था
  • 11 दिसंबर 2019 को भारत की संसद में पेश किया गया था

Personal Data Protection Billभारत सरकार ने पर्सनल डाटा बिल 2021 को वापस ले लिया है। इस बिल को तत्कालीन केंद्रीय आईटी मंत्री ने रविशंकर प्रसाद ने दो साल पहले सदन में पेश किया था। इस बिल को लेकर विपक्षी पार्टियों ने काफी बवाल मचाया था। ये कैसा बिल है इस बिल में ऐसा क्या था जिसे लेकर विपक्षी पार्टियों ने कड़ा विरोध किया था। आज इस बिल के बारे में जानेंगे।

क्या है डाटा पर्सनल प्रोटेक्शन बिल?

व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक तब 11 दिसंबर, 2019 को भारत की संसद में पेश किया गया था। यह नियमों को निर्धारित करता है कि व्यक्तिगत डाटा को कैसे संसाधित और संग्रहीत किया जाना चाहिए। ये लोगों के अधिकारों को उनकी व्यक्तिगत जानकारी के संबंध में लिस्टेड करता है। विधेयक में व्यक्तियों की डिजिटल गोपनीयता की सुरक्षा के लिए देश में एक डेटा संरक्षण प्राधिकरण स्थापित करने की मांग की गई थी।

विधेयक को पहली बार 2018 में न्यायमूर्ति बीएन श्रीकृष्ण की अध्यक्षता वाली एक विशेषज्ञ समिति द्वारा तैयार किया गया था। केंद्र सरकार ने लोकसभा में 2019 में विधेयक का एक मसौदा पेश किया, जिसे दिसंबर 2021 में संयुक्त संसदीय समिति के पास भेजा गया और बाद में संसद में पेश किया गया।

इस विधेयक बनने का प्रोसेस क्या रहा था?

जस्टिस श्रीकृष्ण पैनल की स्थापना 2017 में सुप्रीम कोर्ट के फैसले की पृष्ठभूमि में की गई थी, जिसमें गोपनीयता एक मौलिक अधिकार है, और सरकार को देश के लिए डेटा सुरक्षा ढांचा तैयार करने का निर्देश है। जुलाई 2018 में, समिति ने इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय को एक मसौदा डाटा संरक्षण विधेयक प्रस्तुत किया, जिसमें कहा गया था कि यह श्रीकृष्ण समिति विधेयक में प्रस्तुत विचारों से उधार लेकर एक नए विधेयक का मसौदा तैयार करेगा।

दिसंबर 2019 में, बिल को जेसीपी को भेजा गया था, जिसकी अध्यक्षता तब भाजपा की मीनाक्षी लेखी ने की थी। जैसा कि समिति ने विधेयक का खंड-दर-खंड विश्लेषण शुरू किया, उसने सितंबर 2020 और मार्च 2021 में अपनी रिपोर्ट पेश करने के लिए विस्तार भी मांगा और प्राप्त किया। जुलाई 2021 में, लेखी को विदेश राज्य मंत्री बनाए जाने के बाद, भाजपा सांसद पीपी चौधरी को जेसीपी का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था। चौधरी की नियुक्ति के बाद जेसीपी को अपनी रिपोर्ट जमा करने के लिए एक और विस्तार मिला।
 

इस बिल को वापस क्यों लिया गया?

आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने एक इटंरव्यू के दौरान बताया कि सरकार को बिल को रद्द करने में इसलिए लगा क्योंकि “जेसीपी ने रिपोर्ट पेश करने के बाद, हमें कुछ महीने लग गए। यही वह समय था जब हम एक नए मसौदे पर शुरू कर सकते थे या सोच सकते थे कि इसके साथ क्या करना है। हमारा इरादा बिल्कुल स्पष्ट है। हम जो कर रहे हैं वह मूल रूप से सुप्रीम कोर्ट ने हमें जो करने के लिए कहा है, उसके अनुरूप है।

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