हर साल दिवाली आते ही पटाखों को बैन करने और प्रदूषण वाले तर्क सामने आने लगते हैं। आपके इर्द-गिर्द कुछ लोग पटाखों और आतिशबाजी के समर्थन और विरोध में अपनी-अपनी राय देते होंगे। लेकिन एक वकील ने दिवाली पर पटाखे जलाने को लेकर धर्म ग्रंथो का हवाला दिया है। उन्होंने कहा कि ऐसा करना के पीछे हिंदू ग्रंथो में तर्क के साथ लिखा गया है। इतना ही नहीं उन्होंने आतिशबाजी को दिवाली से पहले और बाद की पूरी टाइमलाइन से साथ भी जोड़कर समझाया।
दिवाली की टाइमलाइन में छिपा है तर्क
दरअसल, पेशे से वकील साई दीपक का वीडियो सामने आया है। इस वीडियो में वह कहते दिख रहे हैं, "दिवाली पर हम पटाखे क्यों फोड़ते हैं? क्या यह केवल जश्न के लिए फोड़े जाते हैं, या फिर केवल पैसा बनाने के लिए पटाखों का इस्तेमाल किया जाता है?" इसको लेकर साई दीपक नाम ने तर्क समझाए। वकील ने कहा कि ऐसा तर्क दिया जाता है कि दिवाली पर पटाखे फोड़ना, आतिशबाजी करना कोई हिंदू रीति-रिवाज नहीं बल्कि केवल जश्न के लिए ऐसा किया जाता है। वकील ने इस तर्क को खारिज कर दिया।
श्राद्ध और आपके पूर्वजों से हैं कनेक्शन
साई दीपक ने कहा कि दिवाली से ठीक पहले श्राद्ध आते हैं, या जिन्हें हम महालय पक्ष भी कहते हैं। इसके बाद दिवाली आती है और फिर दीपालवली के बाद कार्तिक मास का आगमन होता है। उन्होंने आगे समझाया कि हम श्राद्ध के दौरान अपने दिवंगतों और पूर्वजों की पूजा करते हैं और उन्हें भोजन कराते हैं। मान्यता है कि श्राद्ध के दौरान हमारे पूर्वज हमारे पास आ जाते हैं, लेकिन उन पूर्वजों को जाने का तरीका नहीं पता होता है। वकील ने बताया कि ठीक यही कारण है कि दिवाली के दौरान हम आतिशबाजी करके आसमान को रोशनी से भरते हैं ताकि श्राद्ध में आए हमारे पूर्वज उजले आसमान को देखकर स्वर्ग की ओर प्रस्थान कर सकें।
वेदों-धर्म ग्रंथों का भी दिया तर्क
वकील ने कहा कि हिंदुओं के कई वेदों और धर्म ग्रंथों में लिखा है कि ऐसा करना जरूरी है। उन्होंने कहा कि हमें ये सारे लिखित तथ्य उन लोगों के सामने रखने होंगे जो दिवाली पर आतिशबाजी के तर्क को गैरजरूरी मानते हैं। साई दीपक ने आगे कहा कि जब हम फुलझड़ियां जलाते हैं, तो उस रोशनी को लेकर भी संस्कृत में एक शब्द है। इस प्रक्रिया को संस्कृत में 'उल्क दानम्' कहा गया है। उन्होंने कहा कि इस तर्क के समर्थन में धर्म ग्रंथ 'कार्तिक महात्म्या' में लिखा गया है। वकील ने कहा कि इसको लेकर अग्रेंजों ने भी लिखा है, कई सारे हिंदुस्तानियों ने भी लिखा है, लेकिन हमें इसके पीछे के तर्क नहीं पता था।
"पटाखे फोड़ना हिंदू संस्कृति का हिस्सा"
साई दीपक ने इस बात पर गुस्सा जाहिर करते हुए कहा कि इस मुद्दे और आपके कल्चर को लेकर आपकी अज्ञानता अपके ही खिलाफ उपयोग की जाएगी। उन्होंने कहा कि ऐसा आपको अपमानित करने, शर्मिंदगी महसूस कराने, रूढ़ीवादी और अंधभक्त कहने के लिए किया जाएगा। उन्होंने कहा कि दिवाली पर पटाखे फोड़ना, आतिशबाजी करना हिंदू संस्कृति का ही हिस्सा है।
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