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Hindi News भारत राष्ट्रीय देश के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ का कौन होगा उत्तराधिकारी? सामने आया ये नाम, 10 नवंबर को है रिटायरमेंट

देश के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ का कौन होगा उत्तराधिकारी? सामने आया ये नाम, 10 नवंबर को है रिटायरमेंट

CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने अपने उत्तराधिकारी के रूप में एक नाम की सिफारिश की है। गौरतलब है कि CJI डीवाई चंद्रचूड़ का कार्यकाल 10 नवंबर को खत्म हो रहा है।

डीवाई चंद्रचूड़- India TV Hindi Image Source : डीवाई चंद्रचूड़ डीवाई चंद्रचूड़

नई दिल्ली: देश के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ से जुड़ी बड़ी खबर सामने आ रही है। सूत्रों के मुताबिक, CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने अपने उत्तराधिकारी के रूप में सुप्रीम कोर्ट के सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश संजीव खन्ना के नाम की सिफारिश की है। सरकार ने पिछले शुक्रवार को निवर्तमान CJI को पत्र लिखकर मेमोरेंडम ऑफ प्रोसीजर के अनुसार अपनी सिफारिश भेजने को कहा था। बता दें कि CJI डीवाई चंद्रचूड़ दो साल के कार्यकाल के बाद 10 नवंबर को रिटायर हो रहे हैं।

बुधवार को ही डीवाई चंद्रचूड़ की कवायद लाई थी रंग

बुधवार को ही ये फैसला आया था कि भारत की न्याय की देवी की आंखों पर बंधी पट्टी हटा दी गई है। इस कदम से सुप्रीम कोर्ट ने देश को संदेश दिया कि अब ' कानून अंधा' नहीं है। बता दें कि ये सब कवायद सुप्रीम कोर्ट के CJI डी वाई चंद्रचूड़ ने की थी। ये स्टेच्यू सुप्रीम कोर्ट में जजों की लाइब्रेरी में लगाई गई है।

CJI चंद्रचूड़ के निर्देशों पर न्याय की देवी की मूर्ति को नए सिरे से बनवाया गया। सबसे पहले एक बड़ी मूर्ति जजों की लाइब्रेरी में स्थापित की गई। जो पहले न्याय की देवी की मूर्ति होती थी उसमें उनकी दोनों आंखों पर पट्टी बंधी होती थी। नई मूर्ति में न्याय की देवी की आंखें खुली हैं और कोई पट्टी नहीं है। साथ ही एक हाथ में तराजू जबकि दूसरे में सजा देने की प्रतीक तलवार होती थी। हालांकि, अब न्याय की देवी की मूर्ति के हाथों में तलवार की जगह संविधान ने ले ली है। मूर्ति के दूसरे हाथ में तराजू पहले की ही तरह है।

सूत्रों के मुताबिक CJI चंद्रचूड़ का मानना था कि अंग्रेजी विरासत से अब आगे निकलना होगा। कानून कभी अंधा नहीं होता, वो सबको समान रूप से देखता है। इसलिए न्याय की देवी का स्वरूप बदला जाना चाहिए। साथ ही देवी के एक हाथ में तलवार नहीं बल्कि संविधान होना चाहिए जिससे समाज में ये संदेश जाए कि वो संविधान के अनुसार न्याय करती हैं। दूसरे हाथ में तराजू सही है कि उनकी नजर में सब समान है।

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