पुतिन या बाइडेन, कौन है PM मोदी का 'सच्चा दोस्त'? जानें किसकी दोस्ती ज्यादा जरूरी
रूस की पाकिस्तान और चीन से भी नजदीकियां बढ़ रही हैं। लेकिन, भारत के साथ उसका कोई ज्यादा असर देखने को नहीं मिला है। लेकिन, अमेरिका के साथ ऐसा नहीं है. अभी तक अमेरिका, चीन और पाकिस्तान तो भाव देता नजर नहीं आया है।
Highlights
- भारत-रूस के बीच होते हैं हथियार सौदे
- बाइडन और मोदी के संबंध जगजाहिर
- पुतिन या बाइडन, मोदी के लिए किसकी दोस्ती ज्यादा जरूरी?
नई दिल्ली: भारत और रूस अपनी 'दोस्ती' के 50 साल पूरे कर रहे हैं। अगस्त में सहयोग संधि की 50वीं वर्षगांठ मनाई गई। इसी बीच अब रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की भारत यात्रा चर्चाओं में है। लेकिन, इस दौरान कुछ सवाल खड़े हो रहे हैं, जैसे भारत और रूस के संबंध ज्यादा मजबूत हैं या भारत और अमेरिका के संबंध ज्यादा पक्के हैं? इस सवाल का ऐसे भी देखा जा सकता है कि मोदी और पुतिन ज्यादा अच्छे दोस्त हैं या फिर मोदी और बाइडेन की दोस्ती ज्यादा गहरी है? क्या पुतिन और मोदी की मुलाकात से मोदी और बाइडेन की दोस्ती पर असर पड़ेगा? यह सवाल इसलिए है क्योंकि रूस और अमेरिका की आपस में नहीं बनती है, दोनों देश एक दूसरे को लेकर हमेशा आमने-सामने की स्थिति में रहते हैं। तो चलिए कुछ फैक्ट्स जान लेते हैं.
पुतिन और PM मोदी की दोस्ती
पीएम मोदी ने हाल ही में कहा था कि भारत और रूस की दोस्ती समय की कसौटी पर खरी उतरी है। यह बात उन्होंने पिछले दिनों ईस्टर्न इकोनॉमिक फोरम को संबोधित करते हुए कही थी। मोदी ने रूस के विकास के लिए पुतिन की सोच की सराहना भी की थी। कुछ मिलाकार मोदी के भाषण से पुनित की दोस्ती की झलक नजर आई थी। इसके अलावा मोदी और पुनित जब भी मिलते हैं, बड़ी ही गर्मजोशी के साथ मिलते हैं। दोनों की तस्वीरें इस बात की गवाही देती हैं। हालांकि, बीते कुछ दिनों में रूस और भारत के रिश्तों में थोड़ी कमी की खबरें आ रही थीं क्योंकि रूस की चीन के साथ करीबी बढ़ने की बातें फैल रही थीं। लेकिन, पुतिन की इस यात्रा ने उन सभी खबरों को खारिज कर दिया है।
भारत-रूस के बीच होते हैं हथियार सौदे
'पश्चिमी देशों' की परवाह किए बिना भारत, रूस से सैन्य उपकरण और बड़े हथियार खरीदता है। इनमें टैंक्स, छोटे हथियार, एयरक्राफ्ट्स, शिप्स, कैरियर एयरक्राफ्ट और सबमरीन्स शामिल हैं। इसके साथ ही भारत ने रूस से S400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम भी खरीदा है। भारत और रूस मिलकर ब्रह्मोस सुपरसोनिक मिसाइल बना रहे हैं। आंकड़ों की बात करें तो 1991 के बाद से अभी तक दोनों दोशों के बीच 70 बिलियन डॉलर के सैन्य उपकरण की डील्स हो चुकी हैं।
बाइडन और मोदी के संबंध जगजाहिर
बीते दिनों जब वाइट हाउस में बाइडन और मोदी की पहली मुलाकात हुई तो अमेरिकी राष्ट्रपति ने पीएम मोदी का बहुत ही गर्मजोशी से स्वागत किया था। तब पीएम मोदी और जो बाइडन की दोस्ती की तस्वीरें पूरी दुनिया ने देखी थीं। इससे पहले बाइडेन के अमेरिका का राष्ट्रपति बनने पर पीएम मोदी ने उन्हें बधाई भी दी थी। भारत के रूस से एस-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम खरीदने को लेकर विशेषज्ञों का कहना था कि अमेरिका भारत पर प्रतिबंध लगा सकता है लेकिन मोदी और बाइडेन की दोस्ती का ही नतीजा है कि ऐसा कुछ नहीं हुआ।
मोदी-बाइडेन की पहली मुलाकात
बाइडन और मोदी की पहली मुलाकात 2014 में हुई थी जब बाइडन उपराष्ट्रपति हुआ करते थे। इसके बाद से ही दोनों नेताओं की दोस्ती का ग्राफ लगातार ऊपर बढ़ता रहा है। बाइडन के राष्ट्रपति बनने के बाद से इमसे और तेजी आई है और ग्राफ ऊपर गया। गौरतलब है कि बाइडन ने लोकतंत्र पर चर्चा के लिए जिन 110 देशों को न्योता भेजा है, उनमें भारत भी शामिल है। हालांकि, चीन को न्योता नहीं भेजा गया है जबकि ताइवान को साथ लाया गया है।
पुतिन या बाइडन, मोदी के लिए किसकी दोस्ती ज्यादा जरूरी?
दो विरोधी देशों के साथ एक ही समय पर और एक जैसे रिश्ते रखना किसी देश के लिए बहुत मुश्किल काम है। लेकिन, भारत इस मुश्किल काम को बहुत ही सधे हुए ठंग से करने में अभी तक सफल रहा है। मोदी की दोस्ती पुनित से भी गहरी और बाइडेन के साथ ही अच्छी दोस्ती है। रूस और अमेरिका, दोनों ही भारत को समान नजर से देखते हैं। हालांकि, रूस की पाकिस्तान और चीन से भी नजदीकियां बढ़ रही हैं। लेकिन, भारत के साथ उसका कोई ज्यादा असर देखने को नहीं मिला है। लेकिन, अमेरिका के साथ ऐसा नहीं है. अभी तक अमेरिका, चीन और पाकिस्तान तो भाव देता नजर नहीं आया है। चीन के साथ ही उसका लगातार तनाव जारी है। ऐसे में मोदी को तय करना है कि बाइडेन ज्यादा जरूरी हैं या पुतिन।