मुंबई: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि पिछले साल 30 जून को महाराष्ट्र विधानसभा में बहुमत साबित करने के लिए राज्यपाल द्वारा तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को बुलाना सही नहीं था। हालांकि कोर्ट ने पूर्व की स्थिति बहाल करने से इनकार करते हुए कहा कि ठाकरे ने शक्ति परीक्षण से पहले ही इस्तीफा दे दिया था। कोर्ट के इस फैसले के मायने समझने के लिए इंडिया टीवी ने सीनियर वकील उज्जवल निकम से बात की। निकम ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले में 3 मुख्य कड़ियां हैं, और यह फैसला ही अंतिम फैसला है लेकिन अब लार्जर बेंच सुनवाई करेगी।
'सुप्रीम कोर्ट ने राज्यपाल का अधिकार माना, लेकिन...'
उद्धव ठाकरे और शिंदे सरकार के केस पर सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने आज पूरे मामले को लार्जर बेंच को भेज दिया है। फैसले पर इंडिया टीवी से बात करते हुए नागपुर में उज्जवल निकम ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले की 3कड़ियां महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा, 'राज्यपाल का अधिकार है ऐसा सुप्रीम कोर्ट ने माना है। राज्यपाल ऐसा अधिवेशन बुला सकता है, यह भी सुप्रीम कोर्ट ने माना लेकिन सरकार माइनॉरिटी में आ गई थी, इसका राज्यपाल के पास कोई पुख्ता सबूत नहीं था।'
'राज्यपाल ने विशेष सत्र बुलाया जो कि अवैध था'
निकम ने कहा, 'नो मोशन विधायकों को लाना था लेकिन वे नहीं लाए। राज्यपाल ने विशेष सत्र बुलाया जो कि अवैध था।' उन्होंने कहा कि इस्तीफा देने की वजह से उद्धव ठाकरे की बहाली नहीं होनी थी। निकम ने कहा, 'जो पॉलिटिकल पार्टी अपने विधायकों को नियुक्त करती है, उनको व्हिप जारी करने का अधिकार है। 16 विधायकों के बारे में स्पीकर को फैसला लेने के लिए कहा है। हालांकि कोर्ट ने स्पीकर को कोई टाइम नहीं दिया है लेकिन वह चाहता है कि जल्द से जल्द सुनवाई हो।'
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