नई दिल्ली। नदियों और समुद्रों में रहने वाले दोनों तरह के डॉल्फिन के संरक्षण के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा 2020 के स्वतंत्रता दिवस पर घोषित ‘प्रोजेक्ट डॉल्फिन’ डेढ़ साल से अधिक समय बीत जाने के बावजूद शुरू नहीं हो सका है। प्रधानमंत्री ने साल 2020 में स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर घोषणा की थी, ‘‘हम एक और काम को बढ़ावा देना चाहते हैं और वह नदियों और समुद्र में रहने वाली दोनों तरह की डाल्फिन पर ध्यान देने का है। इसके लिए ‘प्रोजेक्ट डाल्फिन’ चलाया जाएगा। इससे जैव विविधता को भी बल मिलेगा और रोजगार के अवसर भी मिलेंगे। यह पर्यटन के आकर्षण का भी केंद्र होता है। इस दिशा में हम आगे बढ़ने वाले हैं।’’
इस बारे में पूछे जाने पर सूत्रों ने बताया कि ‘प्रोजेक्ट टाइगर’ की तर्ज पर ‘प्रोजेक्ट डॉल्फिन’ की अवधारणा रखी गई है। यह परियोजना वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के अधीन है और इसमें जल शक्ति मंत्रालय की सहायक भूमिका है। उन्होंने बताया कि वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने दिसंबर 2021 में इस परियोजना के संबंध में ‘कैबिनेट नोट’ तैयार करके विचारार्थ भेज दिया था। ‘प्रोजेक्ट डॉल्फिन’ की प्रगति के बारे में पूछे जाने पर एक सूत्र ने बताया कि 15 मार्च 2022 को जल शक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत की अध्यक्षता में अधिकार सम्पन्न कार्य बल (ईटीएफ) की नौवीं बैठक हुई थी।
उन्होंने बताया कि इस बैठक में डॉल्फिन सहित गंगा संरक्षण की उपयुक्त कार्य योजना सुनिश्चित करने, इसके क्रियान्वयन से जुड़े कार्यों की निगरानी करने और इस संबंध में पेश आ रही बाधाओं को दूर करने पर विचार किया गया। समझा जाता है कि इस बैठक में ‘प्रोजेक्ट डॉल्फिन’ पर अब तक हुई प्रगति की समीक्षा भी की गई। बैठक में परियोजना में देरी से जुड़े पहलुओं पर भी विचार किया गया और इसमें आने वाली बाधाओं को दूर कर इसे तेजी से लागू करने पर जोर दिया गया।
सूत्रों ने बताया कि गंगा नदी में डॉल्फिन का ‘बेस लाइन सर्वे’ किया जा रहा है। अभी तक नदी में 2000 से अधिक डॉल्फिन की गिनती हुई है, जिनमें इनके छोटे-छोटे बच्चे भी शामिल हैं। इससे इनके प्रजनन संबंधी भी कई संकेत मिल रहे हैं। वहीं, वन एवं पर्यावरण मंत्री भूपेन्द्र यादव ने 25 मार्च को राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड की स्थायी समिति की 67वीं बैठक की अध्यक्षता की थी। इस बैठक में स्थायी समिति ने कई महत्वपूर्ण नीतिगत मुद्दों और राज्य सरकारों एवं केंद्रशासित प्रदेशों के प्रशासन की ओर से भेजे गए वन्यजीव मंजूरी के प्रस्तावों पर चर्चा की थी। सूत्रों ने बताया कि बैठक में ‘प्रोजेक्ट डॉल्फिन’ पर भी चर्चा हुई और इस बात पर जोर दिया गया कि स्वस्थ जलीय पारिस्थितिकी तंत्र पृथ्वी की समग्र सेहत को बनाए रखने में मदद करते हैं।
उन्होंने बताया कि बैठक में इस बात को रेखांकित किया गया कि डॉल्फिन एक स्वस्थ जलीय पारिस्थितिकी तंत्र के आदर्श संकेतक के रूप में कार्य करती है और डॉल्फिन के संरक्षण से प्रजातियों के अस्तित्व और अपनी आजीविका के लिए जलीय प्रणाली पर निर्भर लोगों को लाभ होगा। उन्होंने कहा कि मंत्रालय डॉल्फिन और उसके निवास के संरक्षण के लिए कई गतिविधियां संचालित कर रहा है और इस दिशा में काम तेज करने के निर्देश दिये गए हैं।
वहीं, राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड की स्थायी समिति ने सिफारिश की है कि हर साल पांच अक्टूबर को राष्ट्रीय डॉल्फिन दिवस के रूप में मनाया जाएगा। उल्लेखनीय है कि नदी में पाई जाने वाली डॉल्फिन को 2010 में राष्ट्रीय जलीय जीव प्रजाति घोषित किया गया था। नदी में पाई जाने वाली डॉल्फिन ताजा जल में रहने वाली प्रजाति है, जो मुख्यत: गंगा, इरावदी और ब्रह्मपुत्र और इनकी सहायक नदियों में पाई जाती है। ये डॉल्फिन भारत, बांग्लादेश और नेपाल में पाई जाती हैं।
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