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Hindi News भारत राष्ट्रीय Wayanad Landslide: मुंडक्कई जंक्शन और चूरलमाला भुतहा शहर में तब्दील, तस्वीरें देख कांप जाएगी रूह

Wayanad Landslide: मुंडक्कई जंक्शन और चूरलमाला भुतहा शहर में तब्दील, तस्वीरें देख कांप जाएगी रूह

भूस्खलन के कारण कीचड़ और मलबे के सैलाब व विशालकाय पत्थरों ने ऐसी तबाही मचाई है कि चूरलमाला का नक्शा ही बदल गया है और अब किसी के लिए भी यह विश्वास कर पाना कठिन है कि यह स्थान कुछ दिन पहले तक बेहद रमणीय हुआ करता था।

भूस्खलन के बाद...- India TV Hindi Image Source : PTI भूस्खलन के बाद क्षतिग्रस्त घर में कीचड़ के बीच फोटो फ्रेम। तस्वीर में मौजूद लोगों के बारे में तत्काल कोई जानकारी उपलब्ध नहीं थी।

वायनाड: जमींदोज इमारतें, कीचड़ से पटे बड़े-बड़े गड्ढे और दरकी जमीन व इस पर यहां-वहां बिखरे हुए विशालकाय पत्थर। केरल के वायनाड स्थित मुंडक्कई जंक्शन और इसके करीबी शहर चूरलमाला में बुधवार सुबह हर ओर यही दृश्य देखने को मिला। यहां बरपी तबाही ने इन्हें भुतहा शहरों में बदल दिया है। मंगलवार तड़के भूस्खलन की चपेट में आने से पहले मुंडक्कई जंक्शन और चूरलमाला पर्यटकों और स्थानीय लोगों की गतिविधियों से गुलजार रहते थे।

Image Source : ptiभूस्खलन से तबाही

चूरलमाला में विशालकाय पत्थरों ने मचाई तबाही

दरअसल, अपने प्राकृतिक सौंदर्य और खूबसूरत झरनों के लिए मशहूर चूरलमाला एक पसंदीदा पर्यटन स्थल था। चूरलमाला में सूचिपारा झरना, वेल्लोलिप्पारा और सीता झील कुछ ऐसे स्थान थे, जहां लोग अक्सर छुट्टियां मनाने के लिए आते थे। भूस्खलन के कारण कीचड़ और मलबे के सैलाब व विशालकाय पत्थरों ने ऐसी तबाही मचाई है कि यहां का नक्शा ही बदल गया है और अब किसी के लिए भी यह विश्वास कर पाना कठिन है कि यह स्थान कुछ दिन पहले तक बेहद रमणीय हुआ करता था। भूस्खलन द्वारा मचाई गई तबाही के बीच यहां बदहवास लोगों को क्षतिग्रस्त इमारतों और मलबे में अपने प्रियजनों को तलाशते हुए देखा जा सकता सकता है।

Image Source : ptiमुंडक्कई में घर तबाह

मुंडक्कई में बदहवासों की तरह अपनों को तलाश रहे बुजुर्ग

मुंडक्कई में अपनों को तलाश रहे एक बुजुर्ग व्यक्ति ने खुद को संभालते हुए कहा, “हमने सब कुछ खो दिया...सब कुछ...हमारे लिए यहां कुछ भी नहीं बचा।” उन्होंने अपने परिवार के सदस्यों को खो दिया है और अब वह बदहवासों की तरह उनकी तलाश में जुटे हैं। अपने आंसू पोछते हुए एक अन्य व्यक्ति ने कहा, “मुंडक्कई अब वायनाड के नक्शे से मिट चुका है। यहां कुछ भी नहीं बचा। आप देख सकते हैं...यहां कीचड़ और पत्थरों के अलावा कुछ भी नहीं है। मिट्टी की यह परत इतनी ठोस है कि हम इस पर ठीक से चल भी नहीं सकते...फिर हम इसके नीचे दबे अपने प्रियजनों को कैसे खोजेंगे?”

Image Source : ptiवायनाड भूस्खलन

मुंडक्कई में सारे घर तबाह

गैरआधकारिक आंकड़ों के अनुसार, मुंडक्कई में लगभग 450-500 घर थे लेकिन अब इस क्षेत्र में केवल 34-49 ही बचे हैं। मंगलवार तड़के मूसलाधार बारिश के कारण हुए भीषण भूस्खलन ने मुंडक्कई, चूरलमाला, अट्टामाला और नूलपुझा के सुरम्य गांवों को अपनी चपेट में ले लिया, जिसमें महिलाओं और बच्चों सहित कई लोगों की मौत हो गई। विभिन्न बचाव एजेंसियों ने इस त्रासदी में हताहत लोगों का पता लगाने के लिए सुबह-सुबह अपना अभियान फिर से शुरू किया। इस त्रासदी में अब तक 158 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है। मृतकों की संख्या बढ़ने की आशंका है, क्योंकि अभी भी अनेक लोग मलबे में दबे हुए हैं।

Image Source : ptiभूस्खलन का कहर

धरती पर आसमान से बरपा कहर

उधर, वायनाड के मेप्पाडी के एक सरकारी उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के छात्र राहत शिविरों में रहकर भूस्खलन से बचे लोगों को भोजन और राहत सामग्री प्रदान करने के लिए पूरी मेहनत से जुटे हैं। स्कूल के शिक्षक भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं और विद्यार्थियों को प्रेरित करने के साथ-साथ उनका समर्थन कर रहे हैं। कई विद्यार्थी NSS (राष्ट्रीय सेवा योजना) और NCC (राष्ट्रीय कैडेट कोर) कार्यक्रमों का हिस्सा हैं। शिविरों में रह रहे लोगों ने भारी संघर्ष और नुकसान झेला है उसके बावजूद विद्यार्थियों का निस्वार्थ प्रयास बेहद सराहनीय है। वे (विद्यार्थी) न केवल मदद कर रहे हैं, बल्कि लोगों को ढांढस भी बंधा रहे हैं।

Image Source : ptiचूरलमाला

एक छात्र स्वयंसेवक अल्द्रिया ने बताया, “यहां रहने वाले लोग हमारे मित्र और उनके परिवार हैं। हम इस घटना से बहुत दुखी हैं, लेकिन मुझे मदद करके खुशी होगी।” एक अन्य छात्र अनंतमेघ ने कहा, “यहां केवल एनएसएस और एनसीसी ही नहीं बल्कि स्कूल के अन्य छात्र भी स्वयंसेवा में जुटे हैं।”

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