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Hindi News भारत राष्ट्रीय क्या तीस्ता जल बंटवारे पर बातचीत में ममता सरकार को नहीं किया गया शामिल? केंद्र ने दावों को बताया झूठा; जानें क्या कहा

क्या तीस्ता जल बंटवारे पर बातचीत में ममता सरकार को नहीं किया गया शामिल? केंद्र ने दावों को बताया झूठा; जानें क्या कहा

पश्चिम बंगाल की ममता सरकार ने तीस्ता जल बंटवारे को लेकर हो रही वार्ता में पश्चिम बंगाल सरकार को शामिल नहीं करने का आरोप लगाया है। इसे लेकर उन्होंने पीएम मोदी को पत्र भी लिखा है।

ममता बनर्जी ने पीएम को लिखा पत्र।- India TV Hindi Image Source : PTI/FILE ममता बनर्जी ने पीएम को लिखा पत्र।

नई दिल्ली: हाल ही में पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने पीएम मोदी के नाम एक पत्र लिखा था। इस पत्र के जरिए सीएम ममता बनर्जी ने तीस्ता जल बंटवारे को लेकर हुई वार्ता में पश्चिम बंगाल सरकार को शामिल ना करने का आरोप लगाया था। इसके साथ ही ममता ने इस पर नाराजगी भी जाहिर की थी। ऐसे में अब केंद्र सरकार ने इसपर कहा है कि पश्चिम बंगाल सरकार के द्वारा झूठ फैलाया जा रहा है। केंद्र सरकार के सूत्रों के मुताबिक कई बार पश्चिम बंगाल सरकार को इस बारे में अवगत कराया गया।

केंद्र ने आरोपों पर क्या कहा

केंद्र सरकार के सूत्रों की मानें तो पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा फैलाया गया दावा झूठा है कि फरक्का में गंगा/गंगा जल बंटवारे पर 1996 की भारत-बांग्लादेश संधि की आंतरिक समीक्षा पर उनसे परामर्श नहीं किया गया था। 24 जुलाई 2023 को भारत सरकार ने फरक्का में गंगा/गंगा जल के बंटवारे पर 1996 की भारत-बांग्लादेश संधि की आंतरिक समीक्षा करने के लिए 'समिति' में डब्ल्यूबी सरकार के नामित व्यक्ति की मांग की। फिर 25 अगस्त 2023 को पश्चिम बंगाल सरकार ने समिति के लिए मुख्य अभियंता (डिज़ाइन और अनुसंधान), सिंचाई और जलमार्ग निदेशालय, पश्चिम बंगाल सरकार के नामांकन की सूचना दी। इसके बाद 5 अप्रैल 2024 को संयुक्त सचिव (कार्य), सिंचाई और जलमार्ग विभाग, पश्चिम बंगाल सरकार ने फरक्का बैराज के डाउनस्ट्रीम के विस्तार से अगले 30 वर्षों के लिए अपनी कुल मांग से अवगत कराया था।

ममता ने पीएम मोदी को लिखा पत्र

बता दें कि बांग्लादेश के साथ तीस्ता नदी जल बंटवारा और फरक्का संधि से संबंधित वार्ता में पश्चिम बंगाल सरकार को शामिल नहीं करने पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को एक पत्र लिखकर ‘कड़ी आपत्ति’ जताई। पत्र में अपनी नाखुशी का इजहार करते हुए बनर्जी ने प्रधानमंत्री से पश्चिम बंगाल सरकार को शामिल किए बिना पड़ोसी देश के साथ ऐसी कोई चर्चा नहीं करने का भी आग्रह किया। यह पत्र मोदी की हाल ही में दिल्ली में उनकी बांग्लादेशी समकक्ष शेख हसीना के साथ द्विपक्षीय वार्ता के मद्देनजर लिखा गया था, जिसमें दोनों नेताओं के बीच मुलाकात का विवरण राष्ट्रीय मीडिया में आने के बाद बनर्जी ने कुछ करीबी लोगों के समक्ष कथित तौर पर नाराजगी व्यक्त की थी। 

पत्र में जताई नाराजगी

उन्होंने पीएम मोदी को लिखे तीन पन्नों के पत्र में कहा, ‘‘मैं यह पत्र बांग्लादेश की प्रधानमंत्री की हालिया यात्रा के संदर्भ में लिख रही हूं। ऐसा लगता है कि बैठक के दौरान गंगा और तीस्ता नदियों से संबंधित जल बंटवारे के मुद्दों पर चर्चा हुई होगी। परामर्श और राज्य सरकार की राय के बिना इस तरह का एकतरफा विचार-विमर्श और वार्ता ना तो स्वीकार्य है और ना ही वांछनीय है। उन्होंने कहा कि बंगाल का बांग्लादेश के साथ भौगोलिक, सांस्कृतिक और आर्थिक रूप से बहुत करीबी रिश्ता है। बनर्जी ने ‘तीस्ता’ और ‘फरक्का’ के संदर्भ में कहा पानी बहुत कीमती है और लोगों की जीवन रेखा है। हम ऐसे संवेदनशील मुद्दे पर समझौता नहीं कर सकते, जिसका लोगों पर गंभीर और प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। ऐसे समझौतों के प्रभाव से पश्चिम बंगाल के लोग सबसे अधिक पीड़ित होंगे।

पश्चिम बंगाल के लोगों का हित सर्वोपरि

बनर्जी ने कहा कि वर्ष 1996 की बांग्लादेश फरक्का संधि वर्ष 2026 में समाप्त होने की अपनी निर्धारित अवधि से पहले नवीनीकरण की प्रक्रिया में है। उन्होंने पत्र में कहा, ‘‘मैं आपके ध्यान में लाना चाहूंगी कि भारत के पूर्वी हिस्से और बांग्लादेश में कई वर्षों में नदी का आकार बदल गया है, जिससे पश्चिम बंगाल वंचित हो गया है और राज्य में पानी की उपलब्धता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है।’’ बनर्जी ने कहा, “मैं बांग्लादेश के लोगों से प्यार करती हूं और उनका सम्मान करती हूं और हमेशा उनकी भलाई की कामना करता हूं। मैं अपनी कड़ी आपत्ति व्यक्त करती हूं कि राज्य सरकार की भागीदारी के बिना बांग्लादेश के साथ तीस्ता जल बंटवारे और फरक्का संधि पर कोई चर्चा नहीं की जानी चाहिए। पश्चिम बंगाल में लोगों का हित सर्वोपरि है, जिससे किसी भी कीमत पर समझौता नहीं किया जाना चाहिए।’’

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