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Hindi News भारत राष्ट्रीय वक्फ संशोधन बिल को लेकर 4 बड़े शहरों में जेपीसी की बैठक, संगठनों से राय लेंगे सदस्य, जानें पूरी डिटेल

वक्फ संशोधन बिल को लेकर 4 बड़े शहरों में जेपीसी की बैठक, संगठनों से राय लेंगे सदस्य, जानें पूरी डिटेल

वक्फ संशोधन बिल को संसद में पेश किया गया था, लेकिन विरोध के बाद इसे जेपीसी के पास भेज दिया गया है। संसद की संयुक्त समिति इस पर चर्चा कर रही है। इस बीच लोगों से इस बिल को लेकर सुझाव और राय मांगी गई है।

Muslim Leaders protest- India TV Hindi Image Source : PTI वक्फ संशोधन बिल का विरोध करते मुस्लिम नेता

वक्फ संशोधन बिल को लेकर संसद की संयुक्त समिति (जेपीसी) में मंथन जारी है। समिति के सदस्य अलग-अलग विषयों पर एक-दूसरे से अलग विचार रखते हैं। इसी वजह से आम लोगों और अन्य संगठनों से भी इस बारे में राय ली जा रही है। इस कानून को लेकर चर्चा के लिए जेपीसी के सदस्यों ने देश के चार बड़े शहरों में जाने का फैसला किया है। 26 सितंबर से 30 सितंबर तक चेन्नई, अहमदाबाद, मुंबई और बेंगलुरु में वक्फ संशोधन बिल को लेकर जेपीसी की बैठक होगी। इस दौरान संगठनों से राय भी ली जाएगी।

वक्फ संशोधन बिल को संसद में पेश किया गया था, लेकिन विरोध के बाद इसे जेपीसी के पास भेज दिया गया है। संसद की संयुक्त समिति इस पर चर्चा कर रही है। इस बीच लोगों से इस बिल को लेकर सुझाव और राय मांगी गई है। कई नेताओं का आरोप है कि इस कानून के जरिए वक्फ बोर्ड की संपत्तियां कम की जा रही हैं। वहीं, सरकार का कहना है कि यह कानून वक्फ बोर्ड की जटिलताओं को कम करेगा।

मीरवाइज ने संसदीय समिति से मांगा समय

कश्मीर के मीरवाइज और मुत्ताहिदा मजलिस-ए-उलेमा (एमएमयू) के प्रमुख उमर फारूक ने वक्फ अधिनियम में प्रस्तावित संशोधनों पर गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि ये मुस्लिम समुदाय के हितों के लिए खतरा हैं और मौलिक अधिकारों का उल्लंघन हैं। वक्फ (संशोधन) विधेयक की पड़ताल कर रही संयुक्त संसदीय समिति के अध्यक्ष जगदम्बिका पाल को लिखे दो पन्नों के पत्र में फारूक ने एमएमयू के प्रतिनिधिमंडल को समिति के साथ बैठक कर अपनी आशंकाओं पर चर्चा करने का अवसर देने की मांग की है। जम्मू-कश्मीर में विभिन्न इस्लामी संगठनों, उलेमा और शैक्षणिक संस्थानों का प्रतिनिधित्व करने वाले गठबंधन एमएमयू का दावा ​​है कि प्रस्तावित संशोधन मुस्लिम समुदाय के हितों के लिए खतरा हैं और मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करते हैं। 

मुस्लिम पर्सनल लॉ के उल्लंघन का आरोप

मीरवाइज ने कहा कि इन संशोधनों ने न केवल संविधान के अनुच्छेद-25 के तहत संरक्षित मुस्लिम पर्सनल लॉ का उल्लंघन किया है, बल्कि मुस्लिम समुदाय के भीतर असुरक्षा की भावना को भी बढ़ाया है, जो पहले से ही अपनी धार्मिक स्वतंत्रता के लिए ‘‘खतरा’’ महसूस कर रहा है। मीरवाइज ने इस बात पर जोर दिया कि वक्फ संपत्तियां मुसलमानों द्वारा धर्मार्थ उद्देश्यों के लिए समर्पित की जाती हैं और वंचितों की सेवा करती हैं। पत्र में कहा गया है, ‘‘वक्फ संपत्तियां मुसलमानों द्वारा अपने समाज के लाभ के लिए ईश्वर के नाम पर समर्पित की गई निजी संपत्तियां हैं।’’

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