ब्लॉग: उदयपुर में आतंक वाया पाकिस्तान!
उदयपुर में आतंक की दावत कराची के एक हेडक्वार्टर ने दी और उदयपुर में हत्यारों ने सिर कलम कर दिया।
उदयपुर में जो कुछ हुआ उसने पूरे देश को हिला कर रख दिया। हैवानियत की हद को पार करते हुए धर्म के नाम पर कन्हैया की सरेआम गला रेत कर हत्या कर दी गई। घटना हृदय विदारक थी। यही नहीं, घटना को अंजाम देने के बाद हत्यारों ने वीडियो भी बनाया और बताया कि आखिर क्यों उन लोगों ने इस वीभत्स हत्या को अंजाम दिया। हत्या के बाद देश में कट्टरपंथियों को लेकर एक बार फिर से बहस शुरू हो गई। एक तरफ जहां राजस्थान पुलिस इस मामले की जांच कर रही है तो वहीं जांच के दौरान चौंकाने वाला खुलासा ये हुआ कि मामले में पाकिस्तान की बड़ी भूमिका है। साथ ही पाकिस्तान के जिस कट्टरपंथ संगठन का नाम जुड़ रहा है वो संगठन दुनिया के और मुल्कों में आतंकी वारदातों को अंजाम देता आया है।
कट्टरवाद का जड़ दावत-ए-इस्लामी
उदयपुर में आतंक की दावत कराची के एक हेडक्वार्टर ने दी और उदयपुर में हत्यारों ने सिर कलम कर दिया। कराची में ही दावत-ए-इस्लामी का हेडक्वार्टर है और उदयपुर के हत्यारे पाकिस्तान के इसी कट्टरपंथी जमात में आये थे, इसी संगठन में आतंक का कोर्स किया और हिंदुस्तान पहुंचकर मज़हब का ज़हर फैला दिया। दावत-ए-इस्लामी पाकिस्तान का एक सुन्नी इस्लामिक संगठन है और कराची से इसकी शुरुआत हुई। इस कट्टरपंथी संस्था का चीफ मोहम्मद इलियास अत्तार क़ादरी है और पाकिस्तान में पिछले 10 सालों में इस संगठन का दबदबा लगातार बढ़ा है।
सलमान तासीर की हत्या में उछला नाम
साल 2011 में पाकिस्तानी पंजाब के गवर्नर सलमान तासीर की हत्या मुमताज कादरी ने की थी। सलमान तासीर पर भी ईशनिंदा का आरोप लगा था। मुमताज कादरी दावत-ए-इस्लामी के चीफ इलियास कादरी का फॉलोअर था। हत्या के बाद मौलाना इलियास ने हत्यारे मुमताज कादरी को गाज़ी घोषित किया क्योंकि पाकिस्तान में इस्लाम विरोधियों की हत्या करने वालों को गाज़ी कहा जाता है। यानी दावत-ए-इस्लामी ने पाकिस्तान से ही कट्टरपंथ की आग लगाने की शुरुआत की थी। तब पाकिस्तानी एजेंसियों ने दावत-ए-इस्लामी की बढ़ती ताकत को खतरा बताया था लेकिन पाकिस्तान की कट्टरपंथी सरकारों ने हमेशा दावत-ए-इस्लामी जैसे संगठनों का ही साथ दिया।
दुनिया में दहशत फैलाने की कोशिश
दावत-ए-इस्लामी के कट्टरपंथियों ने पाकिस्तान से बाहर भी टेरर अटैक किया। दुनिया के कई देशों में आतंकी हमलों की इंवेस्टिगेशन में दावत-ए-इस्लामी का नाम आ चुका है। साल 2020 में एक पाकिस्तानी आतंकी ज़हीर हसन महमूद को आतंकी हमले के बाद अरेस्ट किया गया। फ्रांस की मैगजीन शार्ली हेब्दो के हेडक्वार्टर के बाहर ज़हीर ने चाकूबाजी करके दो लोगों को घायल किया। फ्रांस की सरकार ने दावा किया कि आतंकी ज़हीर ने दावत-ए-इस्लामी के चीफ मौलाना इलियास कादरी को अपना मार्गदर्शक बताया था।
ग्लासगो में भी पड़े खून के छींटे
स्कॉटलैंड के ग्लासगो में ब्रिटिश पाकिस्तानी अहमदिया मुसलमान की हत्या की गई। इस मर्डर में भी दावत-ए-इस्लामी का नाम सामने आया। हत्यारा तनवीर अहमद एक पाकिस्तानी मुस्लिम था जो दावत-ए-इस्लामी संस्था से जुड़ा हुआ था। पाकिस्तान को जानने वालों के मुताबिक इसकी बड़ी वजह दावत-ए-इस्लामी की कट्टरपंथी ट्रेनिंग है। यानी जो नफरत सिखाई जा रही है उसका रिजल्ट दुनिया भर में दिख रहा है और उसी नफरत का परिणाम है उदयपुर में कन्हैयालाल की हत्या।
डिसक्लेमर: ऊपर व्यक्त विचार लेखक के अपने हैं।