नई दिल्ली: आज गर्व का दिन है, देश की सेना पर गौरव करने का दिन है। 1971 की जंग में पाकिस्तान पर हिंदुस्तान की जीत के पचास साल पूरे होने के मौके पर आज एक बेहद खास कार्यक्रम हुआ। दिल्ली के इंडिया गेट पर 'स्वर्णिम विजय पर्व' का उद्घाटन हुआ। इस प्रोग्राम का आयोजन हिंदुस्तान और बांग्लादेश की दोस्ती के पचास साल पूरे होने के मौके पर किया गया है। 2 दिनों तक चलने वाले इस कार्यक्रम का उद्घाटन रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने किया। बता दें कि कार्यक्रम में पूर्व CDS जनरल विपिन रावत का एक संदेश भी प्रसारित हुआ जो उन्होंने आज के दिन के लिए निधन से पहले ही रिकॉर्ड कर लिया था।
CDS रावत के अंतिम संदेश का प्रसारण
स्वर्णिम विजय पर्व के लिए ही जनरल बिपिन रावत ने अपना आखिरी संदेश रिकॉर्ड किया था। बुधवार को उन्हें दिल्ली से वेलिंगटन जाना था इसलिए उन्होंने मंगलवार को इस पर्व को लेकर अपना विडियो मैसेज रेकॉर्ड किया, जिसे मीडिया के जरिए प्रचारित किया जाना था, ताकि लोगों को स्वर्णिम विजय पर्व के बारे में जानकारी मिले।
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1971 की जीत के हथियारों का प्रदर्शन
ऐतिहासिक विजय के पचास साल पूरे होने पर हिंदुस्तान आज 'स्वर्णिम विजय पर्व' मना रहा है। दिल्ली के इंडिया गेट पर भव्य समारोह हुआ, 1971 की जंग की निशानियां रखी गई। हिंदुस्तान के शूरवीरों की विजयगाथा का प्रसारण भी हो हुआ। पचास साल पहले की जीत के हीरो से आज देश के रक्षा मंत्री ने मुलाकात भी की। प्रदर्शनी में 1971 की जीत के हथियार नज़र आए, साथ ही सरहद पर लड़ी गई प्रमुख लड़ाइयों के अंश दिखाए गए। रक्षा मंत्री ने 1971 की जंग के योद्धाओं से मुलाकात की और इस बेहद खास कार्यक्रम के गवाह बने बांग्लादेश से आए विदेशी मेहमान। बता दें कि उद्घाटन के बाद ये प्रदर्शनी आम जनता के लिए खोल दी जाएगी। पूरे 2 दिन तक इंडिया गेट पर उत्सव जैसा माहौल होगा। आज यानी 12 दिसंबर को ''स्वर्णिम विजय पर्व'' का उद्घाटन है कल इसका समापन होगा।
3 दिन में पाकिस्तान को करना पड़ा था सरेंडर
1971 में जो हुआ वो अब इतिहास के पन्नों में दर्ज है। पूर्वी से लेकर पश्चिमी फ्रंट तक जबरदस्त जंग लड़ी गईस, उस जंग की एक-एक तस्वीर गर्व का एहसास कराती है। 13 दिन में पाकिस्तान को सरेंडर करना पड़ा था। हिंदुस्तान के रणबांकुरों ने 93 हज़ार पाकिस्तानी सैनिकों को बंधक बना लिया। जनरल नियाजी की सेना ने हथियार डाल दिए और पाकिस्तान बुरी तरह हारा। उसके दो टुकड़े हो गए, इससे बना एक नया देश जिसे दुनिया आज बांग्लादेश के नाम से जानती है। आज उस कहानी को याद कीजिए और जय हिंद की सेना पर गर्व कीजिए।
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