Vijay Mallya: भगोड़े कारोबारी विजय माल्या की भारत में दिक्त्तें और भी बढ़ सकती हैं। न्यायालय की अवमानना के मामले में कल सोमवार को सुप्रीम कोर्ट फैसला सुनाएगा। इस मामले में फैसला जस्टिस यूयू ललित की अगुवाई वाली तिन जजों की बेंच सुनाएगी। अगर इस केस में माल्या के खिलाफ फैसला सुनाया जाता है तो जांच एजेंसियों पर माल्या को वापस देश लाने का और भी दवाब बढ़ेगा।
दरअसल, भारतीय स्टेट बैंक ने विजय माल्या के खिलाफ कोर्ट के आदेश के बावजूद बकाया न चुकाने की अर्जी दी थी। इस मामले को जस्टिस यूयू ललित तिन जजों वाली बेंह ने सुनवाई की थी। जस्टिस ललित के साथ पीठ में जस्टिस एस रविंद्र भट्ट और जस्टिस सुधांशु धूलिया शामिल हैं। कोर्ट ने 10 मार्च को माल्या की सजा पर फैसला सुरक्षित रखा था। सुप्रीम कोर्ट ने 5 साल पहले 9 मई 2017 को विजय माल्या को कोर्ट के आदेश की अवमानना का दोषी मानते हुए सुनवाई शुरू की थी। दरअसल, विजय माल्या ने अपनी संपत्ति का पूरा ब्योरा उन बैंकों और संबंधित प्राधिकरणों को नहीं दिया था, जिनसे उसने करोड़ों-अरबों रुपयों का कर्ज लिया था।
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने की थी कड़ी टिप्पणी
इस मामले में बैंकों और प्राधिकरणों का पक्ष सुनने के बाद कोर्ट ने 10 जुलाई 2017 को माल्या को कोर्ट के समक्ष पेश होने का आदेश दिया था। जिसके बाद न तो वह पेश हुआ और न ही उसकी तरफ से कोई वकील पीठ के समक्ष आया। जिसके बाद कोर्ट ने कहा था कि ब्रिटेन में माल्या एक आजाद इंसान की तरह रहता है, लेकिन वो वहां क्या कर रहा है, इस बारे में किसी को कोई जानकारी नहीं है।
गौरतलब है कि विजय माल्या पर उनके किंगफिशर एयरलाइन (Kingfisher Airline) से जुड़े नौ हजार करोड़ रुपये के बैंक ऋण घोटाले (bank loan scam) में शामिल होने का आरोप है। जिसके बाद वह देश छोड़कर भाग गया था और इस समय वह ब्रिटेन में रह रहा है।
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