उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ को अमृतसर में दुर्गियाना मंदिर में पूजा-अर्चना करने के लिए करीब 20 मिनट तक इंतजार करना पड़ा, क्योंकि बुधवार को जब वह प्रसिद्ध मंदिर पहुंचे तो उसके पट बंद हो गए थे। धनखड़ अमृतसर के एक दिवसीय दौरे पर पहुंचे थे। उपराष्ट्रपति के तौर पर यह पंजाब का उनका पहला दौरा था। दुर्गियाना मंदिर की प्रमुख लक्ष्मीकांत चावला ने कहा, "उपराष्ट्रपति को मंदिर के समय के बारे में सूचित किया गया था। मंदिर के पट दोपहर के 1 बजे से 3 बजे के बीच भक्तों के लिए बंद कर दिए जाते हैं।"
'मंदिर के कार्यालय में हमारे साथ 20 मिनट बिताए'
चावला ने कहा कि धनखड़ अपने परिवार के आठ सदस्यों के साथ दोपहर करीब 2:40 बजे मंदिर पहुंचे। उन्होंने कहा, "धनखड़ ने मंदिर के कार्यालय में हमारे साथ 20 मिनट बिताए।" चावला ने कहा, "मैंने उपराष्ट्रपति को श्रद्धालुओं के लिए मंदिर के खुलने के समय के बारे में बताया। अपने जवाब में उपराष्ट्रपति साहब ने मुझसे कहा कि उनके मन में मंदिर के प्रति गहरा सम्मान है और वह मंदिर के सिद्धांतों और समय के बारे में भी जानते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि वह यहां ठाकुर जी की एक झलक पाने के लिए आए हैं।"
'पट खुलने का इंतजार करने को कहा गया, तो अप्रसन्न नहीं हुए'
उन्होंने कहा कि जब उन्हें मंदिर के पट खुलने का इंतजार करने को कहा गया तो वह अप्रसन्न नहीं हुए। धनखड़ ने मंदिर की आगंतुक पुस्तिका में अपनी टिप्पणी पर भी प्रसन्नता जताई। पूछे जाने पर अमृतसर उपायुक्त हरप्रीत सिंह सूदन ने कहा, "उपराष्ट्रपति पहले ही दुर्गियाना मंदिर पहुंच चुके थे। उनके कर्मचारियों को पहले से ही मंदिर के खुलने के समय की जानकारी थी। उन्होंने मंदिर के कार्यालय में 20 से 25 मिनट बिताए।"
उपराष्ट्रपति ने स्वर्णय मंदिर में लंगर छका और बर्तन धोने की सेवा की
इससे पहले जगदीप धनखड़ ने यहां स्वर्ण मंदिर में मत्था टेका। धनखड़ ने स्वर्ण मंदिर में आगंतुक पुस्तिका में लिखा, "आज दरबार साहिब का दौरा कर धन्य हो गया। यहां की शांति, भक्ति और सेवा की भावना एक अविस्मरणीय अनुभव है।" धनखड़ ने स्वर्णय मंदिर में लंगर छका और बर्तन धोने की सेवा की। उन्होंने स्वर्ण मंदिर में कुछ समय के लिए गुरबानी कीर्तन भी सुना। इसके बाद उन्होंने जलियांवाला बाग का दौरा किया और शहीदों को पुष्पांजलि अर्पित की। इसे राष्ट्रीय महत्व का स्मारक बताते हुए धनखड़ ने कहा, "यह मार्मिक रूप से उन शहीदों के बलिदान की याद दिलाता है जिनके हम सदा ऋणी रहेंगे। धनखड़ ने यह भी टिप्पणी की कि शहीदों को सबसे अच्छी श्रद्धांजलि एक समृद्ध, समावेशी और आत्मनिर्भर भारत का निर्माण करना है, जिसकी उन्होंने कल्पना की थी।"
उन्होंने रामतीर्थ मंदिर में भी मत्था टेका, जिसे भगवान वाल्मीकि मंदिर भी कहा जाता है। वहां मंदिर के प्रबंधन की ओर से उन्हें सम्मानित भी किया गया। दौरे के दौरान उपराष्ट्रपति के साथ केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग राज्य मंत्री सोम प्रकाश, पंजाब के परिवहन मंत्री लालजीत सिंह भुल्लर और राज्य के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी थे।
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