Uttarakhand Observatory: धरती की परिक्रमा कर रही 10 सेंटीमीटर आकार तक की वस्तुओं पर नजर रखने के लिए भारत की पहली कमर्शियल स्पेस स्थितिजन्य जागरुकता वेधशाला उत्तराखंड के गढ़वाल क्षेत्र में स्थापित की जाएगी। अंतरिक्ष क्षेत्र की स्टार्ट-अप ‘दिगंतरा’ द्वारा यह निर्माण किया जाएगा। अंतरिक्ष स्थितिजन्य जागरूकता (एसएसए) वेधशाला भारत को अंतरिक्ष में किसी भी गतिविधि पर नजर रखने में मदद करेगी, जिसमें अंतरिक्ष मलबे और इस क्षेत्र में मंडराने वाले सैन्य उपग्रह शामिल हैं। फिलहाल, विभिन्न स्थानों पर मौजूद अपनी वेधशालाओं और दुनिया भर से वाणिज्यिक कंपनियों द्वारा उपलब्ध कराई जाने वाली अतिरिक्त जानकारी के साथ अमेरिका अंतरिक्ष में मलबों व अन्य वस्तुओं पर नजर रखने के लिहाज से सबसे प्रभावी है।
उत्तराखंड में वेधशाला से ये होंगे फायदे
दिगंतरा के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) अनिरूद्ध शर्मा ने बताया, “उत्तराखंड में वेधशाला से इस क्षेत्र में SSA गतिविधियों के अहम अंतर को पाटने में मदद मिलेगी क्योंकि अभी ऑस्ट्रेलिया और दक्षिणी अफ्रीका के बीद इन गतिविधियों का अभाव है।” उच्च गुणवत्ता की निगरानी के साथ ही जमीन पर स्थिति संवेदी नेटवर्क से अंतरिक्ष में हो रही गतिविधियों पर नजर रखने में मदद मिलेगी। शर्मा ने कहा, “इन आंकड़ों के साथ, यह उपग्रहों और अन्य अंतरिक्ष यान के बीच टकराव की आशंका को उनके स्थान, गति और प्रक्षेपवक्र की अधिक सटीक भविष्यवाणी करके कम करने में सक्षम होगा।”
वेधशाला निगरानी करने की स्वदेशी क्षमता देगी
अनिरूद्ध शर्मा ने कहा कि वेधशाला भारत को उपमहाद्वीप पर अंतरिक्ष गतिविधि की निगरानी करने की स्वदेशी क्षमता भी देगी। उन्होंने कहा कि यूक्रेन में युद्ध से पहले कई रूसी उपग्रहों को क्षेत्र के ऊपर मंडराते देखा गया था। शर्मा ने कहा, “उदाहरण के लिए, अगर चीनी उपग्रह भारत के एक क्षेत्र विशेष में लंबे समय तक देखे जाते हैं, तो इन गतिविधियों पर नजर रखने के लिये अमेरिका जैसे देशों पर निर्भर हुए बगैर, स्वदेशी क्षमता होना भारत के लिए फायदे की बात है।” उन्होंने कहा कि भारत ‘मल्टी-ऑब्जेक्ट ट्रैकिंग रडार’ का उपयोग करके अंतरिक्ष में वस्तुओं की निगरानी कर रहा है और SSA वेधशाला होना इस क्षेत्र में भारत के लिए काफी फायदेमंद होगा।
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