उत्तराखंड: गढ़वाल के गांव में रहस्यमयी बीमारी का कहर, 100 से ज्यादा लोग हुए बीमार
इस रहस्यमयी बीमारी की वजह से टीला गांव के लोगों को तेज बुखार, सीने में दर्द, उल्टी, हाथ-पैर के जोड़ों में दर्द की शिकायत हो रही है।
पौड़ी गढ़वाल: उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल में स्थित पैठाणी के टीला गांव में 100 से ज्यादा लोग इन दिनों एक रहस्यमयी बीमारी से जूझ रहे हैं। बताया जा रहा है कि गांव के छात्र-छात्राएं पिछले एक हफ्ते से स्कूल तक नहीं गए हैं और गांव में ही रहने के लिए मजबूर हैं। मामले की जानकारी मिलने पर सूबे के स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर धन सिंह रावत ने स्वास्थ्य विभाग की एक टीम को टीला गांव के लिए रवाना किया है और बीमारी के बारे में पता लगाने के लिए कहा है।
‘बीमार लोग अपने पैरों पर खड़े नहीं हो पा रहे’
रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस रहस्यमयी बीमारी की वजह से टीला गांव के लोगों को तेज बुखार, सीने में दर्द, उल्टी, हाथ-पैर के जोड़ों में दर्द की शिकायत हो रही है और चक्कर आ रहे हैं। गांववालों ने बताया कि इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति अपने पैरों पर खड़े नहीं हो पा रहे हैं। उन्होंने बताया कि शुरुआत में कुछ ही लोग बीमार हुए थे लेकिन धीरे-धीरे अब यह संख्या 100 के पार हो चुकी है। गांव वालों ने बताया कि इस बीमारी के चलते अब टीला में रहने वाले 1700 लोगों की जिंदगी को खतरा पैदा हो गया है।
धन सिंह रावत ने गांव वालों से फोन पर बात की
स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर धन सिंह रावत को सोशल मीडिया के जरिए जैसे ही इस बारे में जानकारी मिली, उन्होंने तुरंत ही मुख्य स्वास्थ्य अधिकारी पौड़ी को डॉक्टरों की एक टीम तुरंत टीला गांव भेजने को कहा। साथ ही धन सिंह रावत ने खुद भी गांव के लोगों से फोन पर बात की और उन्हें बताया कि गुरुवार को उनके इलाज के लिए डॉक्टरों की एक टीम टीला पहुंच जाएगी। सीएमओ पौड़ी ने प्रभारी चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर अमित पाटिल को गांव के लिए मेडिकल टीम गठित करने को कहा है।
गुरुवार से शुरू हो जाएगा गांव के लोगों का इलाज
बता दें कि टीला के फील्ड सर्वे के लिए भी तुरंत सीएचसी सेंटर से एक स्वास्थ्यकर्मी को भेजने के निर्देश दिए गए हैं। टीला गांव में स्वास्थ्य विभाग की 5 सदस्यीय टीम जाएगी जिसमें एक डॉक्टर, एक कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर, एक एएनएम, एक लैब टेक्नीशियन और एक दवाइयों के लिए वार्ड बॉय होगा। फील्ड सर्वे के लिए स्वास्थ्य कर्मी को गांव भेजा गया है ताकि गुरुवार की सुबह आसानी से कैंप लगाया जा सके और गांववालों का इलाज शुरू किया जा सके।