Uttarakhand News: उत्तराखंड की बीजेपी नीत सरकार ने आपातकाल के दौरान जेल गए लोगों को मिलने वाली पेंशन की राशि 16 हजार से बढ़ाकर 20 हजार रुपये प्रतिमाह कर दी है। देश में लागू आपातकाल के दौरान 25 जून, 1975 से 21 मार्च, 1977 के बीच आंतरिक सुरक्षा व्यवस्था अधिनियम (मीसा) और भारत की रक्षा अधिनियम के तहत जेल में डाले गए लोगों को 17 जनवरी, 2018 से 16,000 रुपये प्रतिमाह पेंशन दी जा रही है।
जनता पार्टी की सरकार बनने के बाद इन कानूनों को निरस्त किया गया
अतिरिक्त मुख्य सचिव राधा रतुड़ी की ओर से जारी आदेश के मुताबिक, लोकतंत्र सेनानी सम्मान पेंशन के तहत दी जानी वाली राशि को 14 अक्टूबर से बढ़ाकर 20,000 रुपये प्रतिमाह कर दिया गया है। गौरतलब है कि आपातकाल के दौरान उक्त दोनों कानूनों का उपयोग राजनीतिक असहमति की आवाज को दबाने के लिए किया गया था। साल 1977 में जनता पार्टी की सरकार बनने के बाद इन कानूनों को निरस्त किया गया।
महाराष्ट्र: आपातकाल के दौरान जेल गए लोगों के लिए पेंशन योजना फिर से जारी
पिछले दिनों महाराष्ट्र की एकनाथ शिंदे सरकार ने पिछली उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली सरकार का फैसला पलटते हुए 1975 के आपातकाल के दौरान जेल गए लोगों के लिए पेंशन योजना जारी कर दी थी। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस ने आपातकाल अवधि के विरोध में जेल में बंद लोगों के लिए पेंशन योजना जारी करने का ऐलान किया था। गौरतलब है कि इस योजना की शुरुआत मूलरूप से 2018 में बीजेपी की सरकार की ओर से की गई थी, जिसे उद्धव ठाकरे की सरकार ने पलट दिया था।
छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने लगा दी थी रोक
वहीं, पिछले हफ्ते सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दी, जिसमें राज्य सरकार को आपातकाल के दौरान आंतरिक सुरक्षा रखरखाव अधिनियम (मीसा) के तहत गिरफ्तार लोगों को 10 हजार रुपये प्रतिमाह पेंशन देने का निर्देश दिया गया था। इस योजना के तहत आपातकाल के दौरान मीसा के तहत तीन महीने जेल में बिताने वाले लोगों को 10,000 रुपये प्रति माह दिए जा रहे थे। छह महीने के लिए जेल जाने वाले लोगों को 15,000 रुपये प्रति माह और छह महीने से अधिक की जेल काटने वाले लोगों को 25,000 रुपये मिल रहे थे।
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