Uttarakhand: उत्तराखंड के पूर्व सीएम हरीश रावत (Harish Rawat) के बेटे आनंद रावत (Anand Rawat) का फेसबुक पोस्ट चर्चा में बना हुआ है। इस पोस्ट में उन्होंने लिखा है कि उनके पिता उन्हें येड़ा समझते हैं। आनंद ने कहा, 'मेरे पिताजी मेरे चिंतन व विचारों से परेशान रहते हैं, शायद उन्होंने हमेशा मेरी बातें एक नेता की दृष्टि से सुनी और मुझे येड़ा समझा।'
दरअसल आनंद (Anand Rawat) ने फेसबुक पोस्ट के माध्यम से राजनेताओं पर कुछ सवाल उठाए थे। उन्होंने कहा, 'आपके नेता तो अपने समर्थकों को उनके जन्मदिन पर बधाई या किसी परिचित के शोक संदेश वाले पोस्ट करने में व्यस्त हैं, और आप लोग उनके क्रियाकलाप से खुश हो? चाहें हरीश रावत (Harish Rawat) हों या किशोर उपाध्याय या फिर युवा नेता विनोद कंडारी, सुमित हृदेश, रितु खण्डूरी सबके फेसबुक पर आपको इसी तरह की पोस्ट मिलेगी, लेकिन राज्य चिंतन पर कुछ नहीं मिलेगा?'
पिता हरीश रावत ने दिया बेटे की बात का जवाब
आनंद के इस पोस्ट से सियासी गलियारों में चर्चाएं तेज हो गईं। तभी उनके पिता और उत्तराखंड के पूर्व सीएम हरीश रावत ने भी फेसबुक पोस्ट करके बेटे की बात का जवाब दिया। हरीश ने लिखा, 'आनंद मैंने तुम्हें कभी येड़ा नहीं समझा। वक्त ने मजबूरन समझा दिया। चाहे 2012 में लालकुआं हो या 2017 में जसपुर। मुझे गर्व है, तुमने नशे से लड़ने के लिए उत्तराखंड के परंपरागत खेलों को प्रचारित-प्रसारित किया। कितने युवा नेता हैं जो तुम्हारी तरह युवाओं तक "रोजगार अलर्ट" के लिए रोजगार समाचार पहुंचाते हैं।
हरीश ने आनंद के लिए लिखा, 'कितने नेता हैं जो लड़के और लड़कियों को सेना या पुलिस में भर्ती हो सके इसलिए प्रारंभिक प्रशिक्षण की व्यवस्था करते हैं। तुम्हारी सोच पर मुझे गर्व है। आज जब सारी राजनीति हिंदू-मुसलमान हो गई है। रोजगार, महंगाई, सामाजिक समता व न्याय, शिक्षा व स्वास्थ्य जैसे प्रश्न खो गए हैं। मैंने रोजगार, शिक्षा को प्रथम लक्ष्य बनाकर काम किया। मैं ही खो गया।'
हरीश ने कहा, 'मैं रोजगार को केरल मॉडल पर लाया। तुलनात्मक रूप में सर्वाधिक तकनीकी संस्थान जिसमें नर्सिंग भी सम्मिलित हैं, हमारे कार्यकाल में खुले और सर्वाधिक भर्तियां हुई। आज शहर का मिजाज बदला हुआ है। परंतु तुमने बुनियादी सवाल और हम जैसे लोगों की कमजोरियों पर चोट की है। डटे रहो। बाप न सही, समय तुम जैसे लोगों के साथ न्याय करेगा।'
हालांकि जब इस फेसबुक पोस्टबाजी पर हंगामा बढ़ गया तो आनंद ने फेसबुक पर अपनी सफाई पेश की। उन्होंने कहा, 'येड़ा शब्द मैंने 2012 में तत्कालीन गृह मन्त्री सुशील कुमार शिन्दे जी के मुंह से अरविन्द केजरीवाल के लिए सुना और केजरीवाल ने इसे हिन्दी में जुनूनी शब्द कह करके व्याख्या की, और 2013 के विधानसभा चुनाव में केजरीवाल ने इस शब्द की सार्थकता साबित भी कर दी ।
आनंद ने कहा, 'येड़ा मतलब पागल तो बिल्कुल नहीं होता, क्योंकि संविधान के अनुसार पागल व्यक्ति जनप्रतिनिधि नहीं बन सकता, और येड़ा मतलब पागल होता तो केजरीवाल शिन्दे पर मानहानि का दावा कर चुके होते।'
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