उत्तराखंड के जोशीमठ शहर को बद्रीनाथ धाम का प्रवेश द्वार और एकमात्र मार्ग माना जाता है। हालांकि, जोशीमठ में संकट की स्थिति पैदा होने के बाद बद्रीनाथ धाम की यात्रा को लेकर लोगों के मन में कई तरह के सवाल उठने लगे हैं। बता दें कि बद्रीनाथ धाम की यात्रा करने से पहले तीर्थयात्री जोशीमठ में रात्रि विश्राम करने का विकल्प चुनते हैं। जोशीमठ में प्रवेश करने के बाद तीर्थयात्री बद्रीनाथ आने-जाने वाले वाहनों से यहां वन-वे रास्ते का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन जोशीमठ में जारी भू-धंसाव संकट कम होने का नाम नहीं ले रहा है। यहां सैंकड़ों घरों और सड़कों में दरारें आ गई हैं। यहां तक कि सड़क की पुलिया भी उखड़ रही है। उत्तराखंड सरकार ने हाल ही में कहा था कि यात्रा प्रभावित नहीं होगी और यह योजना के मुताबिक ही होगी। हालांकि, अब जोशीमठ में कई स्थानों को डेंजर जोन की श्रेणी में रखे जाने के बाद लोकप्रिय धाम बद्रीनाथ तक ले जाने के रास्ते पर सवाल उठ रहे हैं।
बाईपास परियोजना का काम कब होगा पूरा?
ऑल वेदर चार धाम सड़क परियोजना के तहत बद्रीनाथ के लिए बाईपास तैयार किया जा रहा है, जो जोशीमठ से लगभग 9 किमी पहले हेलंग से शुरू होता है और मारवाड़ी रोड पर खत्म होता है, लेकिन यह परियोजना अभी आधी ही पूरी हुई है और स्थानीय लोगों ने इसका कड़ा विरोध किया है। जोशीमठ में विरोध और गुस्से के कारण बाईपास परियोजना पर काम रोक दिया गया है। फिलहाल ऐसा लग रहा है कि ऑल वेदर चार धाम सड़क परियोजना के तहत जोशीमठ बाईपास का काम मई के पहले सप्ताह तक तैयार नहीं हो सकता है। वहीं, आमतौर पर बद्रीनाथ धाम की यात्रा मई के पहले सप्ताह में शुरू होती है।
तीर्थयात्रियों की संख्या ने संकट बढ़ा दिया है
हाल के वर्षों में तीर्थयात्रियों की संख्या में भारी बढ़ोतरी ने स्थानीय अधिकारियों के संकट को बढ़ा दिया है। बड़ी तादाद में यात्रियों के आने का मतलब गाड़ियों की बड़ी संख्या का पहुंचना है और इसलिए इलाके पर अधिक दबाव बनता है, जो अब जोशीमठ के कई स्थानों पर खतरनाक साबित हो सकता है। आंकड़ों पर गौर करें तो 2016 में 6.5 लाख तीर्थयात्री बद्रीनाथ गए थे। 2017 में यह संख्या 9.2 लाख, 2018 में 10.4 लाख और 2019 में 12.4 लाख थी। इसके बाद 2020 और 2021 में यात्री कम आए। इसके बाद कोरोना महामारी के बाद 2022 में यह संख्या बढ़कर 17.6 लाख हो गई। ऐसे में जोशीमठ को असुरक्षित घोषित किए जाने के बाद लगातार क्षेत्र में दरारें चौड़ी हो रही हैं। अधिकारियों के पास पहाड़ी इलाकों में चीजों को व्यवस्थित करने या सही विकल्प ढूढ़ने के लिए तीन महीने से थोड़ा अधिक का समय है।
जोशीमठ में 850 घरों सहित अन्य जगहों पर दरारें
गौरतलब है कि कि 2 जनवरी को जोशीमठ में भू-धसांव का मामला सामने आया था। इसके बाद से जोशीमठ में करीब 850 घरों, होटलों, सड़कों और सीढ़ियों में दरारें पाई गई हैं। चार धाम यात्रा का आगाज बसंत पंचमी के दिन राजमहल से बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलने की तारीख निकलने के बाद शुरू हो जाता है। ऐसे में व्यवस्थाओं के लिए सरकार के पास काफी कम वक्त रह गया है, जिस पर यात्री श्रद्धालु निगाहें टिकाए बैठे हैं।
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