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Hindi News भारत राष्ट्रीय UPSC की तैयारी कर रहे कैंडिडेट्स को मिलेगा दूसरा मौका? केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को दिया ये जवाब

UPSC की तैयारी कर रहे कैंडिडेट्स को मिलेगा दूसरा मौका? केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को दिया ये जवाब

केंद्र की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) ऐश्वर्या भाटी ने पीठ को बताया कि यूपीएससी का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील ने कहा है कि वह दिन के दौरान इस मामले में जवाबी हलफनामा दाखिल करेंगे।

Suprme Court of India- India TV Hindi Image Source : PTI Suprme Court of India

केंद्र ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट से कहा कि संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की परीक्षा में शामिल होने का अतिरिक्त मौका दिये जाने के संबंध में कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) को फैसला लेना होगा। न्यायमूर्ति ए.एम.खानविलकर और न्यायमूर्ति ए.एस.ओका की एक पीठ तीन उम्मीदवारों की एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी। इन उम्मीदवारों ने यूपीएससी 2021 की प्रारंभिक परीक्षा उत्तीर्ण कर ली थी, लेकिन कोविड-19 से संक्रमित पाये जाने के बाद मुख्य परीक्षा के सभी पेपरों में वे उपस्थित नहीं हो सके और अब परीक्षा में बैठने के लिए एक अतिरिक्त मौका दिये जाने का अनुरोध कर रहे हैं। 

केंद्र की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) ऐश्वर्या भाटी ने पीठ को बताया कि यूपीएससी का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील ने कहा है कि वह दिन के दौरान इस मामले में जवाबी हलफनामा दाखिल करेंगे। पीठ ने कहा कि वह 25 मार्च को इस मामले में सुनवाई करेगी। भाटी ने कहा, ‘वास्तव में कोई तात्कालिकता नहीं है क्योंकि इस परीक्षा का परिणाम घोषित कर दिया गया है। केवल एक ही मुद्दा अतिरिक्त प्रयास का बचा हुआ है।’

पीठ ने कहा कि यूपीएससी को यह बताना है कि एक अवसर संभव है या नहीं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पिछली बार यह बताया गया था कि यह एक ‘‘जटिल मुद्दा’’ है और निर्देश लेने की आवश्यकता है और इसीलिए पीठ ने समय दिया था। पीठ ने पूछा, ‘निर्णय अनिवार्य रूप से यूपीएससी द्वारा लिया जाएगा, ना?’ एएसजी ने कहा, ‘परीक्षा में शामिल होने का अतिरिक्त मौका दिये जाने के संबंध में डीओपीटी द्वारा फैसला लिया जाना है।’

याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन ने पीठ को बताया कि न्यायालय ने पिछली बार यूपीएससी को मौका दिया था लेकिन अभी तक कोई जवाब नहीं आया है। सात मार्च को यूपीएससी की ओर से पेश हुए वकील ने उच्चतम न्यायालय से कहा था कि इस मुद्दे पर कोई भी फैसला लेने से पहले उन्हें निर्देश लेने और सभी पहलुओं को रिकॉर्ड में रखने की जरूरत है।

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