मथुरा: होली का त्यौहार हिंदू धर्म में धूमधाम से मनाया जाता है। होली तो कई जगह की फेमस है लेकिन मथुरा-वृदांवन की होली का एक अलग ही आनंद है। कृष्ण प्रेम में रंगे भक्त ब्रज में जब रंगों से एक-दूसरे को भिगोते हैं तो ऐसा लगता है कि जैसे कृष्णजी खुद ही होली खेलने आ गए हों। लोगों के बीच ब्रज की होली का एक अलग खुमार नजर आता है।
वैसे तो ब्रज में एक महीने पहले से ही होली का रंग दिखना शुरू हो जाता है, लट्ठमार होली हो या फूलों वाली होली, ये रंग देखने और भगवान श्रीकृष्ण की धरती पर होली मनाने के लिए लोग देश के अलग अलग हिस्सों से ही नही बल्कि विदेशी सैलानी भी बड़ी संख्या में यहां आते हैं।
ठाकुरजी के भक्तों के मन मे ये भाव होता है कि अगर उन्हें वृदांवन-मथुरा की धरती पर होली खेलने का अवसर मिला है तो उनका भाव होता है कि वो अपने ईश्वर ठाकुरजी के साथ किसी न किसी रूप में होली खेलें। इसलिए यहां होली के समय गली-गली में पैर रखने की जगह नहीं बचती। होली का आनंद मथुरा में श्री कृष्ण जन्म भूमि, द्वारकाधीश और वृंदावन में बांके बिहारी मंदिर और राधा बल्लभ मन्दिर में दिखता है।
दर्शन शुरू होने से लेकर शाम तक लोग मथुरा वृदांवन की गलियों से होली खेलते हुए, मन्दिर पहुंचते हैं और मन्दिर का नजारा बेहद अद्भुत होता है। कपाट खुलने से पहले लोग इंतजार करते हैं और कपाट खुलते ही एक अलग ही भाव दिखता है। बांके बिहारी, जय कन्हैया लाल की, राधे राधे की आवाजों से पूरा मथुरा वृंदावन गूंज उठता है। गुलाल, रंग से मन्दिर के साथ-साथ बाहर की गली भी गुलाबी हो जाती है।
सुरक्षा को लेकर बेहद अलर्ट है पुलिस
होली के त्यौहार के मौके पर जन्माष्टमी की तरह मन्दिर में धक्का मुक्की न हो, भगदड़ न हो, कानून व्यस्वथा बनी रहे, इसके लिए सीसीटीवी कैमरों के साथ चप्पे चप्पे पर पुलिस तैनात है। मन्दिर में धीरे धीरे लोगो को दर्शन करने जाने दिया जा रहा है, गाड़ियों को पार्किंग में लगाने की व्यवस्था पर जोर दिया जा रहा है और साथ ही हुड़दंग करने वाले लोगों पर विशेष अभियान चलाकर नजर रखी जा रही है।
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