Uniform Civil Code: देश में एक देश एक कानून यानि यूनिफॉर्म सिविल कोड की चर्चा जोरों पर हो रही है। लॉ कमीशन अब लोगों से इस बाबत विचार विमर्श करने लगी है। विभिन्न राजनीतिक पार्टियों द्वारा भी अब इसपर बयानबाजी होने लगी है। धार्मिक संगठनों के लोगों से लॉ कमीशन ने राय मांगी है। यूनिफॉर्म सिविल कोड के मामले पर अब ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने भी अपना मत स्पष्ट किया है। समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रवक्ता एसक्यूआर इलियास ने कहा है कि साल 2016 में इसी लॉ कमीशन ने ये कहा था कि अगले 10 वर्षों तक यूनिफॉर्म सिविल कोड पर बात नहीं होनी चाहिए।
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कही ये बात
उन्होंने भाजपा और लॉ कमीशन को लेकर कहा कि अब लॉ कमीशन ने अपना नजरिया क्यों बदल लिया है। भारतीय जनता पार्टी इसे चुनावी मुद्दे के रूप में इस्तेमाल करना चाहती है। आने वाले लोकसभा चुनाव में बीजेपी इसे एक मुद्दे के रूप में इस्तेमाल करेगी। यूनिफॉर्म सिविल कोड़ न देश के लिए जरूरत है और ना ही यूजफुल है। विधि आयोग द्वारा नोटिस जारी करते हुए कहा गया है कि 22वें विधि आयोग ने एक बार फिर समान नागरिक संहिता को लेकर लोगों व धार्मिक संगठनों से विचार मांगने का फैसला किया है।
30 दिन के भीतर शेयर करें अपने विचार
धार्मिक संगठन या इच्छुक लोग जो इसपर अपना मत रखना चाहते हैं वो नोटिस जारी होने के 30 दिन की अवधि के भीतर विधि आयोग को अपने विचार साझा कर सकते हैं। इस मामले पर भाजपा के प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने कहा कि भाजपा यूनिफॉर्म सिविल कोड को लागू करने के लिए प्रतिबद्ध है। वहीं कांग्रेस ने इस मामले पर कहा है कि यह कदम दर्शाता है कि मोदी सरकार अपनी विफलताओं से लोगों के ध्यान को भटकाने और धुव्रीकरण के एजेंडो को वैधानिक रूप देने को लेकर आतुर है।
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