जब लगे 'अतीक को फांसी दो' के नारे, घूरने लगा माफिया, कोर्ट परिसर के अंदर का VIDEO वायरल
अतीक को जब कोर्ट के अंदर ले जाया जा रहा था, तभी वकीलों ने नारेबाजी शुरू कर दी। 'अतीक मुर्दाबाद' और 'फांसी दो-फांसी दो' के नारे लगाए गए। इस दौरान अतीक का चेहरा उतर गया था।
प्रयागराज: आज माफिया अतीक अहमद के गुनाहों का पहला हिसाब हुआ है। अतीक को उमेश पाल किडनैपिंग केस में उम्रकैद की सजा सुनाई गई है। इस बीच प्रयागराज स्थित एमपी-एमएलए कोर्ट परिसर के अंदर का एक वीडियो सामने आया है जिसमें अतीक को फांसी दो के नारे लग रहे हैं। अतीक को जब कोर्ट के अंदर ले जाया जा रहा था, तभी वकीलों ने नारेबाजी शुरू कर दी। 'अतीक मुर्दाबाद' और 'फांसी दो-फांसी दो' के नारे लगाए गए। इस दौरान अतीक का चेहरा उतर गया और वहां मौजूद भीड़ को घूरते हुए नजर आया।
जूतों की माला लेकर पहुंचे वकील
वहीं, अतीक अहमद को कोर्ट में जब दोषी करार दिया गया तब उसकी आंखों से आंसू निकल आए थे। अतीक उस समय रोने लगा था और उसका भाई अशरफ भी फफक-फफक कर रो रहा था। इससे पहले जब पुलिस की टीम माफिया अतीक, उसके भाई अशरफ और फरहान को कोर्ट लेकर पहुंची थी तो कोर्ट के बाहर गमहागहमी बढ़ गई थी। अतीक अहमद को जूतों की माला पहनाने के लिए वकील वहां पर पहुंचे। हालांकि इस बीच सुरक्षा व्यवस्था पूरी तरह से चाक चौबंद नजर आई और वकीलों को रोक लिया गया।
देखें वीडियो-
नारेबाजी कर रहे वकीलों का कहना है कि अतीक अहमद ने हमारे भाई उमेश पाल की हत्या की है। उमेश पाल भी वकील थे और जब उनकी हत्या की गई तो वह काला कोट पहने हुए थे।
अतीक अहमद को फांसी या उम्रकैद
आपको बता दें कि किडनैपिंग केस में प्रयागराज कोर्ट ने अतीक के भाई अशरफ को बरी कर दिया है। उमेश पाल केस में अतीक के साथ अशरफ भी आरोपी था लेकिन कोर्ट ने उसे इस मामले में बरी कर दिया है। जिन धाराओं में अतीक को दोषी करार दिया गया है उनमें से एक धारा 364 A ऐसी है जिसमें उम्र कैद की सजा से लेकर फांसी की सजा तक का प्रावधान है।
उमेश पाल किडनैपिंग केस क्या है?
अतीक और उसके गुर्गों ने राजू पाल हत्याकांड के मुख्य गवाह उमेश पाल का 28 फरवरी 2006 को अपहरण किया था। उसे मारा पीटा गया, बिजली के झटके तक दिए गए और हलफनामे पर जबरन दस्तखत कराकर 1 मार्च 2006 को अदालत में ये गवाही भी दिला दी गई कि राजू पाल की हत्या के वक्त वो घटना स्थल पर मौजूद नहीं था।
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5 जुलाई 2007 को इस मामले में 11 लोगों पर केस दर्ज हुआ था और इसके बाद अदालत में गवाही का सिलसिला शुरू हुआ तो उमेश पाल की ओर से पुलिसकर्मियों समेत कुल 8 गवाह पेश हुए जबकि अतीक गैंग ने 54 गवाहों से गवाही दिला दी थी। इसके बाद जब उमेश पाल के मुकदमे की सुनवाई में देर होने लगी तो उमेश पाल ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। हाईकोर्ट के आदेश के बाद 2 महीने में सुनवाई पूरी की गई और उसी सुनवाई में आखिरी गवाही देने के बाद उमेश पाल घर लौटे थे जब उनकी हत्या हो गई थी। अब 17 साल बाद इस केस में अतीक को कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई है।