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Hindi News भारत राष्ट्रीय 'UCC का मकसद मुसलमानों के पर्सनल लॉ को खत्म करना', AIMPLB ने लॉ कमीशन को अपनी राय भेजी

'UCC का मकसद मुसलमानों के पर्सनल लॉ को खत्म करना', AIMPLB ने लॉ कमीशन को अपनी राय भेजी

समान नागरिक संहिता (UCC) पर AIMPLB ने लॉ कमीशन को अपनी राय भेज दी है। AIMPLB ने UCC को राजनीतिक प्रोपेगैंडा का टूल बताया।

ऑल इंडिया पर्सनल लॉ...- India TV Hindi Image Source : AIMPLB (WEBSITE SCREENGRAB) ऑल इंडिया पर्सनल लॉ बोर्ड

नई दिल्ली:  देश में समान नागरिक संहिता (UCC) को लेकर चर्चा इन दिनों काफी गर्म है। वहीं इस मुद्दे पर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने लॉ कमीशन को 74 पेज का ड्राफ्ट भेजा है। इसमें यूसीसी पर बोर्ड ने अपनी तरफ से पूरी बात रखी है। इस ड्राफ्ट में कहा गया है कि  यूसीसी लाने का मकसद मुसलमानों के पर्सनल लॉ को खत्म करना है। मुस्लिम पर्सनल लॉ को केंद्र में रखकर आज के माहौल में समान नागरिक संहिता पर बहस शुरू करने के पीछे एक ही वजह है कि मुसलमानों की पहचान को नुकसान पहुंचाया जाए।

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने यूसीसी के मुद्दे को विशुद्ध रूप से एक कानूनी मामला बताया और कहा कि इसे राजनीतिक प्रोपेगैंडा का टूल बना लिया गया है। साथ ही यह सवाल भी उठाया है कि जब 21वें लॉ कमीशन की रिपोर्ट ने यूसीसी को गैर जरूरी बताया था उसमें बदलाव किस मकसद से किया जा रहा है?

सुझाव के लिए 30 दिनों का वक्त काफी कम

वहीं इस मुद्दे पर लोगों से सुझाव मांगने के लिए दिए गए 30 दिनों के वक्त को भी ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने बहुत कम बताया है। बोर्ड ने कहा कि सुझाव मांगने के लिए सिर्फ 30 दिन एक अपर्याप्त और छोटी अवधि है। ऐसे में मुसलमानों के खिलाफ माहौल गरमाए रखने की इस प्रक्रिया पर लॉ कमीशन को रोक लगानी चाहिए। 

चुनावी फायदे के लिए यूसीसी का शिगूफा 

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने अपने ड्राफ्ट में कहा कि भारत एक संविधान से चलने वाला लोकतांत्रिक गणराज्य है। ऐसे में इस वक्त देश की सरकार को अपनी पार्टी के राजनीतिक और सांप्रदायिक एजेंडे को आगे बढ़ाने और चुनावी फायदे के लिए यूसीसी का शिगूफा नहीं छोड़ना चाहिए। किसी भी धर्म में विवाद, गोद लेने और उत्तराधिकार के नियम पूरी तरह से धार्मिक प्रक्रिया हैं। देश का संविधान सभी के लिए धार्मिक स्वतंत्रता की बात करता है। ऐसे में पर्सनल लॉ को अनुच्छेद 25,26 और 27 के दायरे से बाहर रखा गया है। इस्लाम को मानने वाले कुरान, सुन्नत और फिका में दिए गए धार्मिक आदेशों से बाध्य हैं।

सकारात्मक हल नहीं निकलेगा

AIMPLB ने कहा कि किसी भी देश मे राष्ट्रीय सुरक्षा, अखंडता और भाईचारे का माहौल तभी बना रह सकता है जब देश में रहने वाले अल्पसंख्यकों और आदिवासियों को उनके निजी धार्मिक आस्थाओं के हिसाब से जीने दें। यूसीसी पर किए जा रहे रायशुमारी की प्रक्रिया का हम विरोध करते हैं क्योंकि इससे कोई सकारात्मक हल नहीं निकलेगा।

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